जमशेदपुर: सोमवार को कदमा स्थित डीबीएमएस स्कूल के कक्षा नौवीं और 11 वीं के फेल विद्यार्थियों, स्कूल प्रबंधन और जिला प्रशासन के साथ बुलाए गए त्रिस्तरीय वार्ता में चौंकाने वाला मामला प्रकाश में आया है. जिसके बाद एसडीएम पारुल सिंह ने जांच के आदेश दे दिए हैं.


क्या लगा प्रबंधन पर आरोप
दरअसल इन दिनों शहर के कुछ आईसीएसई बोर्ड के स्कूलों में नौवीं और ग्यारहवीं के बच्चे मास में फेल हो रहे हैं. इनमें से राजेन्द्र विद्यालय, केपीएस, डीबीएमएस स्कूल के बच्चे भी शामिल हैं. इसको लेकर हाल के दिनों में अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन के बीच खींचतान चल रहे हैं. विवाद बढ़ता देख जिला प्रशासन ने हस्तक्षेप किया. एसडीएम पारुल सिंह के समक्ष अभिभावकों ने जो तर्क दिए हैं वो चौंकाने वाले हैं. सोमवार को एसडीएम ने डीबीएमएस स्कूल के फेल हुए छात्र- छात्राओं उनके परिजनों और स्कूल प्रबंधन को वार्ता के लिए बुलाया. जहां अभिभावकों ने प्रशासन की मौजूदगी में बच्चों के री टेस्ट लिए जाने की मांग की. जिसे प्रबंधन ने समय लेने की बात कहकर टाल दिया. अभिभावकों ने बताया कि स्कूल द्वारा उनसे जबरन बांड भरवाया जा रहा है, ताकि वे किसी फोरम में स्कूल की शिकायत न कर सकें. साथ ही बैठक के दौरान इसका भी खुलासा हुआ कि बच्चों के अभिभावकों से भारी- भरकम डोनेशन लेकर उनका एडमिशन लिया गया. और वैसे बच्चे जिन्होंने स्कूल के टीचर से ट्यूशन नहीं लिया उन्हें फेल कर दिया गया. अभिभावकों ने इसके प्रमाण भी एसडीएम को उपलब्ध कराए जिसके बाद एसडीएम ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं.
क्या कहा एसडीएम ने
इस मामले को लेकर एसडीएम पारुल सिंह ने बताया कि वार्ता के दौरान कई बातें सामने आए हैं जिसके उच्च स्तरीय जांच की अनुशंसा कर दी गई है. रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
अभिभावक संघ हुआ सख्त, दी आंदोलन की चेतावनी
इस मामले को लेकर जमशेदपुर अभिभावक संघ ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. संघ के अध्यक्ष डॉ उमेश कुमार ने बताया कि जमशेदपुर में शिक्षा के नाम पर एक सिंडिकेट काम कर रहा है, जिसपर अंकुश लगाने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि वैसे सभी निजी स्कूलों को चिन्हित कर कार्रवाई करने की आवश्यकता है. शिक्षा पर बाजारवाद हावी है. यदि मामले पर दोषी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है तो अभिभावक संघ आंदोलन को बाध्य होगी.
सुलगते सवाल
मामला चाहे जो भी हो इस प्रकरण ने साफ कर दिया है कि जमशेदपुर में निजी स्कूलों में क्वालिटी एजुकेशन के आड़ में गोरख धंधे का खेल चल रहा है. वैसे इसका खुलासा तब हो रहा है जब बच्चे फेल हो रहे हैं. निजी स्कूलों में एडमिशन के लिए अभिभावकों से डोनेशन के नाम पर मोटी रकम वसूले जा रहे है और प्रतिभाशाली बच्चों का नामांकन नहीं लिया जा रहा है. जो कहीं न कहीं निजी स्कूलों के साख पर बट्टा लगा रहा है. सवाल स्कूल के उस क्वालिटी एजुकेशन पर भी उठने लगा है जिसमें दावा किया जाता रहा है कि उनके स्कूलों में अच्छी पढ़ाई होती है. यदि अच्छी पढ़ाई होती तो बच्चे फेल कैसे करते ? मंथन अभिभावकों को भी करना होगा क्योंकि क्वालिटी एजुकेशन के नाम पर वे भारी- भरकम फीस और डोनेशन किस आधार पर दे रहे हैं.
