जमशेदपुर: सरना धर्म को मानने वाले आदिवासी समुदाय के लोग सेंदरा की तैयारी में जुट गए हैं. इस निमित्त बुधवार को जमशेदपुर के गाधड़ा पंचायत के सरजामदा में दोलमा बुरु सेंदरा समिति की पहली बैठक आयोजित की गई. जिसने 12 मौजा के मानकी- मुंडा, माझी- परगना, महाल शामिल हुए.
बैठक की अध्यक्षता दलमा राजा राकेश हेंब्रम ने की. इस संबंध में जानकारी देते हुए राकेश हेंब्रम ने बताया, कि इस बैठक के बाद दो और बैठक होगी. उसके बाद सेंदरा के तिथि का निर्धारण होगा.
उन्होंने बताया, कि इस साल सेंदरा पर लॉक डाउन का साया नहीं रहेगा, इसलिए राज्य के दूसरे हिस्सों से भी सेंदरावीर पहुंचेंगे, जिसका समिति गर्मजोशी से स्वागत करेगी.
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वहीं सरकार के आदेश के सवाल पर राकेश हेंब्रम ने बताया इसके लिए उन्हें सरकार से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है. 1340 से पूर्वज इस परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं. हम प्रकृति के साधक हैं, प्रकृति की पूजा करना हमारा धर्म है.
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बैठक में जो निष्कर्ष निकलेगा उसके हिसाब से सेंदरा के तिथि का निर्धारण होगा, और इस साल धूमधाम से संध्या का आयोजन किया जाएगा.
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राकेश हेम्ब्रम (दलमा राजा)
क्यों मनाया जाता है सेंदरा
समिति के लिटा वन सिंह ने बताया, कि हमारी परंपरा के अनुसार देवी- देवताओं को खुश रखने के लिए बली दी जाती है. अगर उन्हें बलि नहीं दी गई तो हमें प्राकृतिक आपदा का शिकार होना पड़ेगा.
जंगल के जानवर जंगलों से बाहर आकर इंसानों का शिकार करेंगे. सेंदरा हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, इसका हम पालन करेंगे. अपना और अपने परिवार की रक्षा के लिए आदिवासी समाज में शिकार की विशेष महत्ता है. इसके माध्यम से देवी देवताओं को प्रसन्न कर परिवार और समाज के खुशहाली की कामना की जाती है.
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लिटा वन सिंह (सदस्य दोलमा बुरु सेंदरा समिति)