आज ईस्टर है. मान्यता है कि सूली पर लटकाए जाने के बाद प्रभु ईसा मसीह अपने अनुयायियों को ज्ञान देने तीसरे दिन फिर से जागृत हुए थे. इसी खुशी में ईसाई समुदाय द्वारा गुड फ्राइडे के तीसरे दिन रविवार को ईस्टर मनाया जाता है.
ईस्टर को पास्का के नाम से भी जानते है. बाइबल की मान्यता के अनुसार प्रभु यीशु मसीह ने यहुदी अत्याचारी राजाओं द्वारा मृत्यु दंड दिए जाने का एहसास होते भी येरुशलेम में प्रवेश किया. इसपर उनके अनुयायियों ने उनकी चमत्कारी व्यक्तित्व के कारण राजा की तरह खजूर की डालियां एवं कपड़े बिछाकर स्वागत किया. इसके बाद उन्हें मृत्यु देने के लिए पकड़ लिया गया और सूली पर लटका दिया. ईसा की मृत्यु हो जाती है. मृत्यु के तीसरे दिन उनका पुनरुत्थान हो जाता है. जमशेदपुर में भी रविवार को ईस्टर की धूम रही. कब्रिस्तानों में ईसा मसीह के पुनरुत्थान पर मिस्सा पूजा का आयोजन किया गया. इधर बेल्डीह चर्च में फादर जोन पूर्ति ने अपने संदेश में कहा कि पुनरुत्थान का तात्पर्य यह है कि स्वयं को पुनर्निर्माण करना. हमने चालीस दिन तक महा उपवास में रहकर ईसा मसीह के पुनरुत्थान की कामना की. पुनरुत्थान के पर्व के साथ हमें अपनी सोच व जीवन शैली में नई ऊर्जा भरने का काम शुरू कर देने चाहिए. इससे हम आगे का जीवन सुखमय तरीके से जी सकते हैं. जीवन में यदि बुरे कार्य या गलत संगति के भंवर में फंसे हैं तो स्वयं को उससे निकालने के लिए ईसा के पुनरुत्थान को याद कर पुनः अच्छे मार्ग पर चलने का सोच विकसित करें, तब ही ईसा मसीह का पुनरुत्थान सार्थक होगा. मिस्सा पूजा में संत अन्ना कॉन्वेंट के सिस्टर्स ने सिस्टर नीलिमा की अगुवाई में सिस्टर बलमदीना, सिस्टर अनीता, सिस्टर क्रोनिका आदि ने भक्ति गीत गाए. जिसमें जी उठे प्रभु विजयी बनकर गीत ने मिस्सा पूजा को भक्तिमय बनाया. मौके पर सभी कैथोलिक ईसाई परिवार के महिला -पुरूष, युवा व बच्चे बच्चियों ने एक- दूसरे को ईस्टर की बधाई एवं शुभकामनाएं दी.