जमशेदपुर: कविवर निर्मल मिलिंद स्मृति पुरस्कार गीतों के राजकुमार कहे जाने वाले बिरसानगर निवासी प्रसिद्ध गीतकार गंगा प्रसाद अरुण को बुधवार को प्रदान किया गया. समारोह के विशिष्ट अतिथि प्रख्यात कहानीकार जयनंदन के कर कमलों द्वारा यह पुरस्कार श्री गंगा प्रसाद अरुण को दिया गया. मालूम हो इस पुरस्कार में प्रमाण पत्र के साथ 11000 रुपए प्रदान किए जाते हैं. श्री गंगा प्रसाद अरुण के बिरसा नगर स्थित घर पर आयोजित एक सादे समारोह में यह पुरस्कार दिया गया. इसका कारण यह था कि श्री गंगा प्रसाद अरुण बीमार चल रहे हैं, परंतु बड़ी बहादुरी से वे कैंसर से संघर्ष कर रहे हैं.
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रसिद्ध कहानीकार जयनंदन ने अपने उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि ‘कविवर निर्मल मिलिंद स्मृति पुरस्कार’ राष्ट्रीय स्तर का महत्व रखता है. तुलसी भवन से भी एक पुरस्कार दिया जाता है लेकिन उसकी नोटिस नहीं ली जाती. ‘कविवर निर्मल मिलिंद स्मृति पुरस्कार’ जिन साहित्यकारों को दिया जाता है उनकी पहचान गहरे स्तर पर रही है. बहुत छानबीन व विचार करने के बाद उन्हें यह पुरस्कार दिया जाता है. उन्होंने कहा कि निर्मल मिलिंद बड़े रचनाकार थे. वे अहर्निश कवि थे. वे हर वक्त कविता ही सोचते रहते थे. उनकी रचनाएं राष्ट्रीय स्तर की पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित होती थीं. उन्होंने गीत और गजल के अलावे उपन्यास, नाटक, व्यंग्य और बच्चों के लिए लोकप्रिय रचनाएं भी लिखीं. उन्हें बज्जिका भाषा का पहला उपन्यास ‘गितिया’ लिखने का श्रेय जाता है.
निर्मल मिलिंद ने आजीवन नए- नए साहित्यकारों को प्रोत्साहित किया और उन्हें स्थापित किया. उन्होंने कहा कि निर्मल मिलिंद जनवादी लेखक संघ में सक्रिय थे परंतु किसी संस्था के मोहताज नहीं थे, क्योंकि वे खुद को इतना परिष्कृत कर चुके थे. वे एक नर्सरी के समान थे जहां नये- नये साहित्यकार पनपते थे. श्री जयनंदन ने कहा कि निर्मल मिलिंद पुरस्कार गंगा प्रसाद अरुण जी को दिया जा रहा है तो यह बहुत ही सही चयन है. गंगा प्रसाद अरुण मिलिंद जी के खास भी रहे हैं. गंगा प्रसाद अरुण की रचनाओं में काफी गहराई है. ये शीघ्र स्वास्थ्य लाभ करें और साहित्य में सक्रिय हों, यह शुभकामनाएं भी उन्होंने अरुण जी को दी. उन्होंने अर्चना मिलिंद को बधाई दी कि वे इस तरह का महत्वपूर्ण आयोजन प्रतिवर्ष कर पा रही हैं.
जमशेदपुर के कवि लेखक और पत्रकार दिनेश्वर प्रसाद सिंह ‘दिनेश’ ने सम्मान प्राप्त करने पर गंगा प्रसाद अरुण जी को बधाई दी और कहा कि मिलिंद जी जितना उनके करीब थे उतना ही गंगा प्रसाद अरुण जी के भी करीब थे. उन्होंने अरुण जी को शुभकामनाएं दीं और शुभाशीष भी. उन्होंने कहा कि अरुण जी शीघ्र स्वस्थ होंगे और साहित्य में फिर से सक्रिय होंगे. दिनेश्वर प्रसाद सिंह ‘दिनेश’ ने मिलिंद जी को याद करते हुए कहा कि जब वे जमशेदपुर आए थे तो उन्हीं से सर्वप्रथम उनके साकची स्थित जयशिव बुक एजेंसी में मिले थे. यह पता उन्हें जनकवि नागार्जुन ने दिया था. तब से वे घनिष्ठ मित्र बने रहे. उन्होंने कहा की मिलिंद जी की गजल की पुस्तक ‘कत्ल का जश्न’ काफी लोकप्रिय है. उनकी अन्य रचनाओं की भी उन्होंने काफी सराहना की. कवयित्री डॉ रागिनी भूषण ने मिलिंद जी की स्मृति को नमन करते हुए कहा कि मिलिंद जी जाने माने साहित्यकार थे और उनकी ख्याति दूर तक फैली थी. उन्होंने अनेक साहित्यकारों को आगे बढ़ने का अवसर दिया था. डॉ रागिनी भूषण ने अरुण जी के लिखे गीत का सस्वर पाठ करके सभा में रस भर दिया. हिंदी और भोजपुरी के व्यंग्य लेखक और संपादक अरविंद विद्रोही जी ने गंगा प्रसाद अरुण को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उन्हें यह महत्वपूर्ण सम्मान मिलना बहुत ही उचित है. उन्होंने कहा कि मिलिंद जी ने महिलाओं को भी साहित्य के क्षेत्र में आगे बढ़ाने का काम किया. वे इसके लिए हमेशा याद किए जाएंगे. उन्होंने महिलाओं के साहित्यिक संगठन भी बनाए. श्री गंगा प्रसाद अरुण के आवास पर आयोजित यह समारोह काफी सफल रहा. इस कार्यक्रम में अनेक लोगों की उपस्थिति और भागीदारी रही. पत्रकार कवि कुमार, मिलिंद जी की धर्मपत्नी श्रीमती अर्चना मिलिंद, साहित्यकार मनोकामना सिंह अजय, अखिलेश, राजेश भोजपुरिया, अरविंद विद्रोही आदि की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही. कार्यक्रम का संचालन अशोक शुभदर्शी ने किया.