जमशेदपुर: बुधवार को झारखंड आंदोलन के अग्रणी नायकों में शुमार अमर शहीद निर्मल महतो की 74 वीं जयंती के मौके पर जमशेदपुर में अजब ही नजारा देखने को मिला. जहां मुख्यमंत्री के संभावित दौरे को लेकर की गई सारी तैयारियां धरी की धरी रह गई.
बता दे कि मुख्यमंत्री के संभावित दौरे को लेकर पूरी तैयारी की गई थी. मगर, मुख्यमंत्री यहां नहीं पहुंचे. इतना ही नहीं झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति की उपज डुमरी विधायक जयराम महतो भी निर्मल दा की समाधि पर श्रद्धा के शीश नवाने नहीं पहुंचे. हजारों बार जयराम ने निर्मल दा की कसमें खाकर खतियानी आंदोलन को धारदार बनाया. विधायक बनने के बाद निर्मल दा को भूल गए.
चलिए जयराम की बात छोड़ देते हैं. अब बात कर लेते हैं झारखंड के राजद कोटे से मंत्री बने गोड्डा विधायक संजय प्रसाद यादव की. माननीय मंगलवार से ही जमशेदपुर में जमे हुए हैं. बुधवार को उनका आदित्यपुर में ऐतिहासिक नागरिक अभिनंदन हुआ. माननीय यह भूल गए कि झारखंड के मसीहा निर्मल दा की आज 74वीं जयंती है. बता दे कि संजय प्रसाद यादव का काफिला शहीद निर्मल महतो के समाधि स्थल के इर्द- गिर्द घूमता रहा. मगर, उन्होंने एक बार भी निर्मल दा की समाधि स्थल पर पहुंचकर अपने श्रद्धा- सुमन अर्पित नहीं किए. खुद के स्वागत में इतने मशगूल रहे कि उन्हें झारखंड आंदोलनकारी की याद तक नहीं आई.
इससे एक कदम आगे बढ़ते हैं. हर साल चाहे शहादत दिवस हो या जयंती समारोह पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन निर्मल दा की समाधि स्थल पर आना नहीं भूलते हैं. बुधवार को चंपई सोरेन जमशेदपुर और सरायकेला में ही रहे. मगर, निर्मल दा की समाधि पर पहुंचना जरूरी नहीं समझा. इतना ही नहीं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा भी जमशेदपुर और सरायकेला में देखे गए. मगर, निर्मल दा की शहादत को भूल गए. सभी भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के जयंती समारोह मनाने में मशगूल नजर आए. ऐसे में साफ समझा जा सकता है कि निर्मल दा के नाम की कसमें खाने वाले झारखंडी राजनेताओं के मन में निर्मल दा के प्रति कितनी श्रद्धा है.