जमशेदपुर के उत्तरी करनडीह पंचायत की मुखिया सीनी सोरेन गुरुवार को जिला पुलिस मुख्यालय पहुंची और एसएसपी के नाम एक मांगपत्र सौंपते हुए बीते 3 अप्रैल को अपने पड़ोसी अजय चौबे और उनके पिता शिवमुनी चौबे द्वारा अपने पुत्र रविंद्र सोरेन के साथ मारपीट मामले में स्थानीय पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की.
इस दौरान बड़ी संख्या में क्षेत्र के लोग भी मौजूद रहे. मुखिया ने इसे आगामी पंचायत चुनाव को देखते हुए विरोधियों का साजिश करार दिया. मुखिया सिनी सोरेन ने बताया कि बीते 3 अप्रैल को संध्या लगभग 4:00 बजे बड़ा बेटा रवींद्र सोरेन के घर के बाहर सड़क पर खड़े होने के विवाद में पड़ोसी अजय चौबे और उनके पिता शिव मुनि चौबे द्वारा सब्बल और तलवार से हमला किया गया, बेटे का हाथ खून से लहूलुहान हो गया था, घायल बेटे की इलाज की एमजीएम अस्पताल जमशेदपुर की प्रति उपलब्ध है. उन्होंने बताया कि मारपीट के उपरांत स्थानीय थाने में मामला दर्ज कराया गया है. आरोपी शिवमुनि चौबे, और पुत्र अजय चौबे द्वारा भी अगले दिन स्थानीय थाने में मामला दर्ज किया गया है, उनके द्वारा दर्ज एफआईआर में पैसे छीनने एवं सोने अथवा चांदी के गहनों के छीनने, दुकान में तोड़फोड़ करने, महिलाओ से छेड़खानी करने, एवं पड़ोस के रहने वाले अथवा बीच बचाव करने वाले अन्य युवा लड़कों का नाम देना सरासर गलत है.
मुखिया ने बताया उक्त आरोपियों द्वारा पूर्व में भी इसी तरह से मारपीट किया गया था, जिसकी लिखित शिकायत के उपरांत मामला दर्ज कर आवश्यक कार्रवाई परसुडीह थाना पुलिस द्वारा किया गया था. उन्होंने बताया कि आरोपी अक्सर मुझे जाति सूचक गाली दी जाती है, बताया कि उनके द्वारा कहा जाता है कि जंगली मुखिया बन गई है, क्षेत्र में बहुत नेतागिरी कर रही है. बस्ती के अन्य महिलाओं के साथ अक्सर दुर्व्यवहार और मारपीट इनके लिए आम बात है. आस- पास के रहने वाले सभी लोगों से पूछताछ करने पर दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. आरोपी पैसे और पावर से परिपूर्ण और अपराधिक किस्म के है. किसी भी जांच को अपने प्रभाव से तत्काल प्रभावित कर सकते है. आरोपियों द्वारा लगाए गए सारे आरोप निराधार है, सच्चाई से कोसों दूर है. आने वाले पंचायत चुनाव के देखते हुए मेरे राजनीतिक और सामाजिक छवि को खराब करने की एक कोशिश मात्र है.
अतः दर्ज एफआईआर की गहनता से जांच करते हुए, और स्थानीय बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ ना करते हुए उचित जांच किया जाय, जांच के उपरांत मामला दर्ज कर आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाए.