DESK REPORT भारतीय जनता पार्टी सहित देश के तमाम दल 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है. हालांकि सब कुछ विपक्षी गठबंधन पर निर्भर करता है. यहां हम जमशेदपुर लोकसभा सीट की यदि बात करें तो पिछले लोकसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार भाजपा ने विद्युत वरण महतो को टिकट दिया और विद्युत वरण महतो ने विरोधियों को चारों खाने चित कर जीत का परचम लहराया. क्या इस बार भी भाजपा विद्युत वरण महतो पर दांव लगाएगी या इस बार बीजेपी यहां बदलाव करेगी. वैसे इस पर मंथन बाद में किया जाएगा मगर विपक्ष की ओर से जमशेदपुर लोकसभा सीट पर मजबूत दावेदारी किसकी होगी इसको लेकर अभी से बहस छिड़ गया है.
राजनीतिक पंडितों की अगर मानें तो भले जमशेदपुर लोकसभा सीट रहा है मगर इतिहास गवाह है कि जमशेदपुर सीट पर बाहरी प्रत्याशियों ने झंडा बुलंद किया है. वर्तमान सांसद विद्युत वरण महतो (सरायकेला), पूर्व सांसद स्वर्गीय सुनील महतो (सरायकेला) सुमन महतो (स्व सुनील महतो की पत्नी), शैलेंद्र महतो (चक्रधरपुर), आभा महतो (शैलेन्द्र महतो की पत्नी), नितीश भारद्वाज, डॉ अजय कुमार सभी जमशेदपुर से बाहर के प्रत्याशी रहे हैं. हालांकि उनकी राजनीतिक कर्मभूमि जमशेदपुर रही है.
कुड़मी वोटर रहे हैं हावी
वैसे जमशेदपुर की अगर बात करें तो कुड़मी वोटर यहां शुरू से हावी रहे हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में आदिवासी नेता के रूप में झारखंड के वर्तमान मंत्री चंपई सोरेन सरीखे कद्दावर नेता को भी विद्युत वरण महतो के आगे नतमस्तक होना पड़ा. जहां विद्युत वरण महतो ने उन्हें भारी मतों के अंतर से पराजित कर जीत का परचम लहराया. तो क्या इस बार विपक्ष यहां किसी महतो प्रत्याशी पर दांव खेलेगी ? ऐसे में अहम सवाल यह उठता है कि झामुमो- कांग्रेस और राजद गठबंधन के पास महतो चेहरा कौन है ? राजनीतिक पंडितों की अगर मानें तो विपक्ष इस बार कोई रिस्क लेना नहीं चाहेगा और किसी महतो नेता को ही टिकट देगा, इसके कयास अभी से ही लगाए जाने लगे हैं. वैसे गठबंधन के तहत यह सीट किसके पाले जाती है इस पर गौर करने की जरूरत है. वैसे कोल्हान की अगर हम बात करें तो कांग्रेस के पास पहले से ही सिंहभूम सीट मौजूद है. जिसपर सांसद गीता कोड़ा ने 2019 के भाजपा की आंधी के बीच जीत का परचम लहराया था. गठबंधन के नाते जमशेदपुर सीट झामुमो के खाते में गई थी. जहां से वर्तमान मंत्री चंपई सोरेन को हार का मुंह देखना पड़ा था. यदि गठबंधन के तहत इस बार भी ऐसा ही हुआ तो झामुमो के खाते फिर से जमशेदपुर सीट आएगी. फिर प्रत्याशी कौन होगा इस पर पार्टी के अंदर खाने में सुगबुगाहट तेज हो गई है.
कौन होगा गठबंधन का प्रत्याशी ?
माना जा रहा है कि इस बार कुड़मी नेता पर ही पार्टी दांव लगाएगी. वह चेहरा कौन होगा इस पर यदि गौर करें तो पूर्व सांसद सुमन महतो, शैलेंद्र महतो, आभा महतो पर पार्टी, जिनका जनाधार पूरी तरह से खत्म हो चुका है. यूं कहें तो इनपर कोई भी दल दांव लगाने के मूड में नहीं है. फिर कौन होगा विपक्ष का कुड़मी चेहरा इसपर राजनीतिक विश्लेषकों ने अभी से ही मंथन तेज कर दिया है.
डॉ शुभेंदु महतो रेस में
झामुमो सूत्रों की अगर माने तो सरायकेला- खरसावां जिलाध्यक्ष डॉ शुभेंदु महतो पार्टी के प्रत्याशी हो सकते हैं. डॉ महतो की साफ- सुथरी छवि और पार्टी पर मजबूत पकड़ के साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मंत्री चम्पई सोरेन के खास माने जाते हैं. कुड़मी वोटरों को गोलबंद करने में उन्हें महारथ हासिल है. उनके कुशल नेतृत्व की ही देन है कि सरायकेला- खरसावां के तीनों विधानसभा सीट पर झामुमो ने अपना परचम लहराया है.
डॉ शुभेंदु का संक्षिप्त परिचय
डॉ शुभेंदु महतो अपना राजनीतिक गुरु शहीद निर्मल महतो को मानते हैं. 1984 में जमशेदपुर को- ऑपरेटिव कॉलेज से बतौर छात्र नेता उन्होंने राजनीति की शुरुआत की, बाद में 1985 में वे निर्मल महतो के प्रभाव में आए और उन से वशीभूत होकर सक्रिय राजनीति में कूदे. 1987 में झारखंड आंदोलन के दौरान उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई. 1991 में 5 महीने के लिए डॉ महतो को जेल यात्रा भी करनी पड़ी. सबसे अहम खासियत उनकी यह रही है, कि इतने लंबे राजनीतिक कैरियर के दौरान कभी भी उनके दामन पर किसी तरह का दाग नहीं लगा है. कार्यकर्ताओं को एकजुट करना हो या गंभीर मसलों पर टीका टिप्पणी यूं कहें तो डॉ शुभेंदु महतो की गिनती पार्टी के थिंकटैंक के रूप में की जाती है.
बतौर डॉक्टर शुभेंदु महतो पार्टी उनके लिए मां के समान है. कई ऐसे मौके आए जहां उन्हें अग्नि परीक्षा के दौर से गुजरना पड़ा, मगर पार्टी का दामन नहीं छोड़ा. कई मौकों पर अपमानित भी होना पड़ा मगर शीर्ष नेतृत्व के भरोसे और पार्टी के कार्यकर्ताओं के सम्मान की वजह से हर मुश्किल घड़ी को पार करने में सफलता मिली. 2024 के लोकसभा चुनाव के संबंध में पूछे जाने पर श्री महतो ने बताया कि अन्य नेताओं की तरह उन्हें भी राजनीतिक महत्वाकांक्षा है, मगर पार्टी लाइन से ऊपर हटकर कुछ भी कहना सही नहीं होगा. अभी 2024 दूर है पहले स्थिति स्पष्ट होने दीजिए.