जमशेदपुर: एमजीएम अस्पताल में बीते 9 जनवरी 2022 को गर्भवती पूजा देवी एवं उसके नवजात की मौत मामले में सरकार के संयुक्त सचिव मनोज कुमार सिन्हा द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को जो रिपोर्ट सौंपा है उससे साफ जाहिर है कि मामले की जांच बंद कमरे में कर महज खानापूर्ति की गई है.
संयुक्त सचिव के आदेश पर जिले के उपायुक्त ने जो रिपोर्ट सौंपा है वह चौंकाने वाला है. जांच दल में शामिल डॉक्टर ईला झा, डॉक्टर तूलिका और डॉक्टर नीलोफर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, मरीज श्रीमती पूजा देवी 23 वर्ष पति श्री रवि समासी, Reg No MG 220367694 एवं उसके बच्चे की मृत्यु के आरोप से संबंधित मामले की जांच की गई. जिसमें उक्त तिथि को अपनी ड्यूटी में उपस्थित सभी चिकित्सक, पारामेडिकल स्टाफ, परिचारिका (LR, SYN OT एवं COVID O.T) को बारी- बारी से बुलाकर लिखित में जानकारी ली गई. गठित चिकित्सा दल के तीनो सदस्यों ने पूरे घटनाक्रम पर विचार- विमर्श करने उपरान्त यह पाया कि उक्त मरीज दिनांक 09.01.2022 को सुबह 8:00 बजे Labour room में भर्ती हुई थी. भर्ती के समय मरीज को inically Moderate anaemia था. उसका incomplete Antertatal Checkup था और एक भी Recent vestigation report नहीं था. Urgent Hb % (7gm % ) से anaemia की पुष्टि हुई और LR में ही जाँच के दौरान मरीज को Covid agnose हुआ.
मरीज़ को ससमय Septic OT ( COVID O.T) भेजा गया साथ ही उसके पति को blood arrange करने के sample और requisition दिया गया. Septic OT में LS.C.S के लिए मरीज को Prepare किया गया. ड्यूटी में उपस्थित चिकित्सक के द्वारा मरीज की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही थी. खून के बिना ऐसे मरीज का eration करना खतरनाक था.
काफी देर तक जब blood arrange नहीं हुआ तो ड्यूटी में उपस्थित Junior doctors ने पाया कि मरीज का sample और requistion लेकर बैठा हुआ था. फिर मरीज का fresh sample एवं free blood का uistion लेकर Junior doctor स्वयं Blood bank गई और free blood लेकर आई. इसी बीच O.T में 2 Case का जटिल Operation चल रहा था. जहां चिकित्सकों एवं staff की मदद से दोनों को बचा लिया गया. Blood arrange होने पर जब चिकित्सकों की team नीचे Covid OT में आई तो मरीज की स्थिति और ख़राब हो गई थी. Covid एवं anaemia के कारण मरीज का Oxygen saturation कम हो रहा था और मरीज Shock में जा रही थी. चिकित्सकों (Obstetrician anaethetist एवं Physician) एवं Paramedical staff ने मरीज को resuscitate करने की पूरी कोशिश की पर उनका प्रयास सफल नहीं हो पाया और लगभग 2.15 pm में मरीज की मृत्यु हो गई. सभी बिन्दुओं पर विचार कर के यह निष्कर्ष निकलता है कि,
(a) मरीज का Incomplete Antenatal Checkup था और वो High risk Preg की case थी ( PCS) के साथ Covid संक्रमण भी था एवं Spo2 और उसका blood pressure भी धीरे- धीरे कम हो रहा था. (b ) ससमय मरीज के परिजनों को मरीज की गंभीर स्थिति की जानकारी दी जा रही थी परन्तु उनके द्वारा ससमय blood arrange नहीं किया जा सका, तब स्वयं डॉक्टरों द्वारा Free blood का इंतजाम किया गया. (C) सभी चिकित्सकों के दल ( Anaesthetist, Obstetrician & Physician) समय समय पर मरीज की स्थिति Monitor कर रहे थे और उसे haemodynamically stable करने की कोशिश कर रहे थे. (d) haemodynamically stable रहने के कारण तत्काल में मरीज का LSCS नहीं किया जा सका. (e) कोरोना संक्रमित गर्भवती के पेट में पल रहे शिशु की ऑक्सीजन की कमी के कारण मृत्यु हो सकती है. (f) सभी चिकित्सक एवं paramedical staff अपने कार्यस्थल पर उपस्थित थे. सारे जांचोपरात हम तीनों चिकित्सकों द्वारा ये पाया गया कि मरीज के साथ इलाज के दौरान कोई लापरवाही नहीं की गई है.
जबकि जांच दल के रिपोर्ट में कहीं भी मृतक के परिजनों का पक्ष नहीं लिया गया है. घटना के वक्त मरीज के परिजनों ने अस्पताल के चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाया था और कोरोना संक्रमित होने के कारण मरीज को छूने से इंकार करने की बात कही गई थी. उस वक्त काफी हो हंगामा भी हुआ था. मामले की गंभीरता को देखते हुए कोडरमा निवासी मानवाधिकार कार्यकर्ता ओंकार विश्वकर्मा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी. जिसका वाद संख्या 95/34/6/2022 है. जिसपर संज्ञान लेते हुए आयोग ने राज्य सरकार से पूजा देवी मौत मामले पर रिपोर्ट तलब किया था. उसी के आलोक में सरकार के संयुक्त सचिव मनोज कुमार सिन्हा ने जिले के उपायुक्त को पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था. इस रिपोर्ट से साफ हो गया है कि पूरे मामले पर लीपापोती की गई है. इस संबंध में मृतक पूजा देवी के पति ने बताया कि उनसे किसी तरह की कोई पूछताछ नहीं हुई है, ना ही उनके संज्ञान में ऐसा कोई मामला आया है, कि किसी तरह का जांच चल रहा है. उन्होंने सारे रिपोर्टों को गलत और बेबुनियाद बताया और कहा की जांच दल दोषी चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों को बचा रहे हैं. ऐसे में उन्हें इंसाफ मिलेगा इसकी संभावना कम है.