जमशेदपुर : देश में आदिम जनजाती शब्द को हटाने का प्रयास करना होगा. देश में सिर्फ जाती शब्द का ही इस्तेमाल किया जाए. सभी बराबर रहे और सभी को समानता का अधिकार मिले. यह बाते झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस सह झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार(झालसा) के कार्यपालक अध्यक्ष सुजीत नारायण प्रसाद ने कही. वे पूर्वी सिंहभूम जिले के एमजीएम थाना अंतर्गत पलासबनी में आयोजित राज्य स्तरीय विधिक सेवा सह सशक्तिकरण शिविर में लोगों को संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम के दौरान पारंपरिक तरीके से ढोल नगाड़ों के साथ टीका लगाकर उनका स्वागत किया गया.
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इस दौरान उन्होंने कहा कि आज आदिम जनजाती को झालसा के बारे में कोई जानकारी नहीं है कि किस तरह लोग झालसा के इस्तेमाल से खुद को लाभ पहुंचा सकते है. उन्होंने कहा कि झालसा की ओर से इस कार्यक्रम का आयोजन कर लोगों को जागरुक करने का काम किया जा रहा है. हालांकि मौके पर जितने भी लोग मौजूद है उन्हें देखकर लगता है कि सभी जागरुक है. जस्टिस सुजीत नारायण ने कहा कि फिलहाल झासला में जितने भी मामले सामने आ रहे है सभी का निपटारा किया जा रहा है. लोक अदालत में भी 100 प्रतिशत की कामयाबी मिल रही है और मिडिएशन में 68 प्रतिशत की कामयाबी हासिल की जा रही है.
झालसा यह कोशिश करती है कि जितने भी मामले आए सभी का निपटारा कर दिया जाए ताकि मामला ट्रायल तक ना पहुंचे. झासला में सबसे ज्यादा एक्सीडेंट क्लेम और जमीन से संबंधित मामले आते है. इस दौरान लोगों के बीच परिसंपत्ती का वितरण किया गया. कुल 11227 लाभार्थियों को चुना गया था जिनके बीच 59.9 करोड़ की परिसंपत्ती का वितरण करना था. मौके पर कुल 29 लाभार्थियों के बीच परिसंपत्ती का वितरण किया गया था. उन्होंने कहा कि लोग ज्यादा से ज्यादा लोक अदालत का फायदा उठाए. इस दौरान मौके पर केंद्र और राज्य सरकार की कई योजनाओं के स्टॉल लगाए गए थे जिसके बारे में जस्टिस सुजीत नारायण ने जानकारी ली.
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