वैश्विक त्रासदी के दौर में जिन झोला छाप डॉक्टरों ने अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को सेवा दिया, अब त्रासदी का दौर थोड़ा कम होने के बाद वही झोलाछाप आईएमए की आंखों में खटक रहे हैं. हालांकि झोलाछाप डॉक्टरों को लेकर आईएमए शुरू से ही विरोध करता रहा है. सोमवार को आईएमए जमशेदपुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर झोलाछाप डॉक्टरों पर नकेल कसने को लेकर एक रणनीति तैयार करते हुए एक हफ्ते के भीतर झोलाछाप डॉक्टरों की सूची लेकर तीनों जिलों के उपायुक्त से मुलाकात कर एक मांग पत्र सौंपने की बात कही. आईएमए सचिव डॉ सौरभ चौधरी ने बताया कि शासन- प्रशासन की ढिलाई के कारण झोलाछाप डॉक्टरों की शहर में बाढ़ आ गई है. पहले जहां झोलाछाप डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को बेवकूफ बनाकर उनकी जान जोखिम में डाल रहे थे, अब शहर में भी अपनी पैठ बनाने लगे हैं. उन्होंने बताया कि ऐसा ही एक मामला पिछले दिनों पड़ोसी जिला सरायकेला के आदित्यपुर स्थित दयाल ट्रेड सेंटर में देखने को मिला. जहां फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर एक झोलाछाप डॉक्टर ईएनटी क्लीनिक चला रहा था. जब आइएएमए ने संज्ञान लिया तो डॉक्टर क्लीनिक छोड़कर फरार हो गया है. उन्होंने सरकार और प्रशासन से ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों पर नकेल कसने की मांग की. वैसे अहम सवाल यह है, कि वैश्विक त्रासदी के दौर में जब बड़े- बड़े डिग्रीधारी डॉक्टर घरों में दुबक गए थे. उन्हीं झोलाछाप डॉक्टरों ने अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को सहारा दिया. वैश्विक त्रासदी के बाद जिस तरह से चिकित्सा महंगी हुई है, लोग जाएं तो आखिर कहां जाएं. यही कारण है, कि लोग खर्चीली चिकित्सा से ज्यादा उम्मीद झोलाछाप डॉक्टरों पर कर रहे हैं. जिस कारण अब शहरी क्षेत्र में भी झोलाछाप डॉक्टरों की बाढ़ आ रही है.
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