जमशेदपुर (Charanjeet Singh) शुक्रवार से जमशेदपुर और आसपास के इलाकों में हुए मूसलाधार बारिश के बाद शहर की दोनों प्रमुख नदियां स्वर्णरेखा और खरकई पूरे शबाब पर है. दोनों नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. लगभग 14 साल बाद शहरवासियों ने दोनों नदियों के रौद्र रूप का दर्शन किया. शनिवार रात भर तटीय इलाकों के लोग सड़कों और शेल्टर होम में रहने को मजबूर रहे.
हालांकि रविवार को मौसम साफ जरूर हुआ है, मगर अपने पीछे तबाही का वह मंजर छोड़ गया है, जिससे निपटने में हफ्तों लग सकता है. धीरे- धीरे दोनों नदियों के जलस्तर में मामूली गिरावट हो रही है. अभी भी कई मुहल्ले और तटीय इलाके डूबे हुए हैं. लोग नफा- नुकसान का आकलन कर रहे हैं. राजनीति भी चरम पर है. प्रशासन राहत और बचाव कार्य में युद्ध स्तर पर जुटा हुआ है. एनडीआरएफ की टीम मुस्तैद है. अबतक दोनों जिलों के करीब 4000 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है. जमशेदपुर शहर के करीब 2000 घरों में बाढ़ का पानी घुसा है. उधर इचागढ़ विधानसभा क्षेत्र के दर्जनों गांव अभी भी डूबे हुए हैं. लोग अपने- अपने घरों में कैद हैं. राहत और बचाव कार्य में प्रशासन को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में अहम सवाल यह उठता है, कि आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है ? किसने रोका नदियों का रास्ता ? बहरहाल अभी इस पर कुछ भी कहना नाइंसाफी होगा, मगर इस पर गहन मंथन करना अनिवार्य है.
देखें indianewsviral.co.in के कैमरे से बाढ़ की तबाही का मंजर
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