जमशेदपुर: पूर्व सांसद सह कांग्रेस के वरीय नेता डॉ. अजय कुमार ने रविवार को होनेवाले वंदे भारत ट्रेन के उदघाटन को राजनीतिक इवेंट करार दिया है. उन्होंने कहा कि वंदे भारत मजदूरों के शहर जमशेदपुर वासियों के गाल पर तमाचा है. टाटा स्टील को छोड़ दे तो शहर में 80 प्रतिशत आबादी की औसतन मासिक आय 18 से 25 हजार के बीच है. ऐसे में इनके लिए वंदे भारत जैसे ट्रेनो के क्या मायने है.
उन्होंने बताया कि सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार वंदे भारत ट्रेन के उदघाटन में पिछले 2 वर्षों में लगभग औसतन प्रत्येक उद्घाटन कार्यक्रम में 2.35 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं. वहीं रेल की सुरक्षा कवच पर 45 हजार रुपये आएगा. लेकिन मोदी सरकार रेल की सुरक्षा पर खर्च नहीं कर रहीं है जबकि बुलेट ट्रेन पर 1.25 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ष औसतन 35 करोड़ लोग समान्य श्रेणी के ट्रेनों में ही सफर करते है. मोदी सरकार द्वारा पहले से चल रही पैसेंजर, एक्सप्रेस ट्रेनों में जनरल एवं स्लीपर बोगी की संख्या कम कर दी गई है. अब तो स्लीपर क्लास में वेटिंग टिकट पर सफर करने पर भी पाबंदी लगा दी गई है. इससे आम लोगों की परेशानी बढ़ गई है. वंदे भारत ट्रेन का उदघाटन तो ठीक है. लेकिन समान्य ट्रेनों में सुविधा बढ़ाने पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है. मात्र 2 से 3 प्रतिशत लोगों के लिए मोदी सरकार काम कर रही है.
डॉ. अजय कुमार ने कहा कि मोदी पहले ट्रेनों को सही समय पर चलाने का प्रयास करें, दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाएं. मोदी पहले आम लोगों की आमदनी तो बढ़ाए. तभी वो वंदे भारत जैसे ट्रेनों में सफर कर पाएगा. लगातार हो रहे रेल हादसे की सूची लंबी है. वर्तमान में मोदी सरकार रेल दुर्घटनाओं को रोकने में विफल रही है. डॉ. अजय कुमार ने कहा कि भाजपा आज आदिवासियों का हमदर्द बनने का ढोंग कर रही है. लेकिन सच्चाई यह है कि झारखंड में सबसे ज्यादा शासन करने वाली भाजपा ने हमेशा आदिवासियों को ठगने का काम किया है.
डॉ. अजय ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार ने दो वर्ष पूर्व आदिवासियों के धार्मिक एवं सांस्कृतिक आजादी का प्रतिक सरना धर्म कोड से संबंधित विधेयक मंत्रीमंडल से पास कर मोदी सरकार को भेजा था. लेकिन आदिवासियों की हितैषी बनने वाली भाजपा द्वारा सरना धर्म कोड को अब तक लागू नहीं करना उनके आदिवासी विरोधी होने का प्रमाण है. उन्होंने कहा कि दरअसल 2024 के लोकसभा चुनाव में आदिवासी एवं मुलवासियों ने भाजपा को नाकार दिया. जिसके कारण सभी आदिवासी सीट पर भाजपा की करारी हार हुई. यही कारण है कि बीजेपी अब आदिवासियों की हमदर्द बनने का नाटक कर रही है.
डॉ. अजय कुमार ने कहा कि भाजपा नेता हेमंत विसवा सरमा बंगलादेशियों द्वारा आदिवासियों की जमीन हड़पने का झूठा प्रचार कर रहे हैं. क्योंकि 12 सितंबर को गृह मंत्रालय द्वारा रांची हाईकोर्ट में जमा किए गए शपथपत्र में कहा गया है कि झारखंड में आदिवासियों से विवाह कर उनकी जमीन हड़पने से संबंधित कोई आकड़े गृह मंत्रालय के पास नहीं है. मतलब साफ है कि जब केंद्रीय गृह मंत्रालय यह स्वीकार कर रहा है कि बंगलादेशी घुसपैठियों से संबंधित कोई आकड़ा उसके पास नहीं है. तो भाजपा नेता किस आधार पर बात कह रहे है. ऐसे में हेमंत विसवा सरमा को इस्तीफा देना चाहिए.