जमशेदपुर के काशीडीह निवासी धर्मेंद्र सिंह की हत्या कर शव को कार में लेकर घूमने के मामले में शुक्रवार को अदालत ने दोषी विश्वजीत प्रधान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. मामले की सुनवाई करते हुए ए़डीजे 1 राजेंद्र कुमार सिन्हा ने दोषी को सजा सुनाई. कोर्ट ने 30 अक्टूबर को आरोपी को हत्या, रंगदारी मांगने और साक्ष्य छुपाने का दोषी पाया था. कोर्ट ने हत्या के मामले में आजीवन कारावास और 25 हजार रुपये जु्र्माना, रंगदारी मांगने के मामले में सात साल की सजा और 10 हजार रुपये जु्र्माना और साक्ष्य छुपाने के मामले में तीन साल की सजा सुनाई है. सारी सजा एक साथ चलेगी.
इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक राजीव कुमार ने बहस की थी. जानकारी देते हुए अपर लोक अभियोजक राजीव कुमार ने बताया कि मामले में कुल 8 लोगों की गवाही हुई थी जिसमें अभियुक्त ने भी बचाव में गवाही दी थी. मामले में मृतक के बेटे गौरव कुमार सिंह ने साकची थाना में अपहरण और रंगदारी की प्राथमिकी दर्ज कराई थी. मामले में स्पीड ट्रायल कर दोषी को सजा सुनाई गई है.
मामला 10 फरवरी का है. धर्मेंद्र सूद-ब्याज का कारोबार करते थे. 10 फरवरी को वे घर से निकले थे फिर वापस नहीं लौटे. 10 फरवरी की दोपहर 3 बजे धर्मेंद्र के बेटे गौरव को मोबाइल पर पिता के नंबर से मैसेज आया. मैसेज करने वाले ने कहा कि उसने धर्मेंद्र का अपहरण कर लिया है और 50 लाख की फिरौती मांगी. गौरव ने बिना किसी देर के साकची पुलिस को सूचित किया.
इधर 11 फरवरी तड़के पांच बजे पुलिस द्वारा जांच अभियान के दौरान कदमा डीबीएमएस स्कूल के पास एक कार को रोका गया जिसकी डिक्की में एक क्रिकेट किट बैग के अंदर धर्मेंद्र का शव पाया गया था. इस मामले में पुलिस ने चालक विश्वजीत को गिरफ्तार कर घटना में प्रयुक्त बैट बरामद किया था. विश्वजीत टाटा मोटर्स कर्मी था और उसने धर्मेंद्र से 11 लाख रुपये लिए थे. धर्मेंद्र बार-बार रुपये की मांग करता था जिस कारण उसने धर्मेंद्र की हत्या कर दी थी.