क्या जमशेदपुर के ग्रामीण इलाकों में बिल्डर- जिला परिषद के अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच सांठगांठ से बड़ा खेल चल रहा है ? इस संबंध में हमने पड़ताल करने का प्रयास किया मगर विभागीय अधिकारी और कर्मचारियों के टालमटोल जवाब से इतना तय हो गया है, कि जमशेदपुर के ग्रामीण इलाकों में बिल्डरों का कोई बड़ा खेल चल रहा है.
दरअसल हमने कुछ सवालों का जवाब विभागीय अधिकारियों से जानने का प्रयास किया
जैसे, जमशेदपुर जिला परिषद के अधीन कितने बिल्डर निबंधित है ?
उनके द्वारा कौन- कौन प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है ?
क्या उनके द्वारा ग्रुप हाउसिंग योजना के तहत 10 से 15 % गरीब परिवारों को आवास मुहैया कराया जा रहा है ? जो ईडब्ल्यूएस या एलआईजी कटौगरी का हो सकता है. ऐसा नहीं करने की सूरत में बिल्डरों द्वारा सरकारी राशि (शेल्टर फीस) जमा कराई जा रही है ? मगर इन सवालों का जवाब हमें नहीं मिला. “आपके अधिकार- आपकी सरकार- आपके द्वार” कार्यक्रम में व्यस्तता का हवाला देकर कुछ अधिकारी कार्यालय में मिले नहीं कुछ कर्मियों से जब हमारे प्रतिनिधि जिला परिषद के कार्यालय मिलने पहुंचे, तो उनके द्वारा मामला उनके अधिकार क्षेत्र का नहीं है कहकर टाल दिया गया. अब सवाल ये उठता है कि जवाब कौन देगा. मामला गंभीर है. जमशेदपुर के ग्रामीण इलाकों में प्राइवेट बिल्डरों द्वारा धड़ल्ले से आवासीय फ्लैटों का निर्माण किया जा रहा है. जिसमे कई योजना ग्रुप हाउसिंग के तहत भी निबंधित होने की जानकारी मिली है. जहां गरीब तबके के लोगों के लिए 10- 15 फीसदी मकान उपलब्ध कराने की बाध्यता है. ऐसा सरकारी बायलॉज में दर्ज है. साथ ही यदि बिल्डर द्वारा अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो इसके एवज में विभाग को (शेल्टर फीस) जमा करानी होती है.