Jamshedpur Alart जमशेदपुर शहर भीषण कोरोना वायरस की जद में आ चुका है. सरकारी तंत्र और स्वास्थ्य महकमा इस वैश्विक त्रासदी से निजात पाने की जुगत में भिड़ा है. लेकिन एक और अनजान शत्रु शहर को परेशान कर सकता है. इन तस्वीरों को देखकर आप चौंक जाएंगे. ये नजारा है लौहनगरी जमशेदपुर की लाईफलाईन कही जानेवाली खरकई और स्वर्णरेखा नदियों का. वैसे तो अमूमन हर साल गर्मियों में दोनों नदियों में पानी की कमी के कारण जलकुंभियां उग आते हैं, लेकिन जिला प्रशासन और शहरी निकायों के प्रयास से उसे नष्ट किया जाता रहा है, ताकि शहर में महामारी न फैले. वहीं वैश्विक महामारी कोरोना काल में दोनों नदियों में जमे जलकुंभियों के कारण खतरा और बढ़ सकता है. शहर के जानेमाने चिकित्सक डॉ अशोक कुमार इन जलकुंभियों को वैश्विक महामारी के काल में एक ही जगह पर जमे रहने को शुभ संकेत नहीं मान रहे. उनका कहना है कि इससे लोगों को चर्म रोग के साथ कई घातक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है. दोनों नदियों के तटीय इलाकों के लोगों को सावधान रहने की उन्होंने नसीहत दी है. डॉ कुमार बताते हैं, कि नदियों में प्रदूषित पानी बहाने के कारण ऐसी स्थिति बनती है. गर्मियों में पानी का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे नदियों के पानी में ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है, और जल कुंभियां उग आते हैं जो कापी खतरनाक होते हैं. उन्होंने शहरवासियों से नदियों के पानी का प्रयोग नहीं करने की अपील की है. वैसे अहम सवाल ये है कि आखिर प्रचंड गर्मी और गिरते भू- गर्भीय जल स्तर के बीच तटीय ईलाकों के लोगो के लिए दोनों नदियां जीवन दायिनी है. ऐसे में तटीय इलाकों के लोग जाएं तो कहां जाएं. सरकारी तंत्र पहले से ही लोगों के लिए शुद्ध पेयजल उपलब्ध करा पाने में नाकाम साबित रही है. इधर कोरोना त्रासदी के बीच इस नई मुसीबत से निजात पाने का कोई ब्लू- प्रिंट तैयार करने की कार्ययोजना जिला प्रशासन तैयार करे ऐसा संभव ही नहीं. ऐसे में इस नई मुसीबत से दूर रहने में ही शहरवासियों के लिए एक मात्र बचाव का उपाय है. वैसे दोनों नदियों के इस दुर्दशा के लिए काफी हद तक शहरवासी और यहां के कल कारखाने हैं. जिसको लेकर कभी सार्थक पहल नहीं किया गया. किया भी गया तो कागजों और अखबारों की सुर्खियों तक ही सिमटकर रह गया.


