जमशेदपुर: ठेकेदारी प्रथा के तहत साफ- सफाई और सेनिटेशन का काम करने वाले लाखों मजदूरों को स्थाई करने को लेकर रविवार को झारखंड असंगठित मजदूर यूनियन द्वारा एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया. यह आयोजन साकची स्थित कार्यालय में किया गया. मौके पर यूनियन की ओर से बताया गया कि देश के अंदर साफ- सफाई एवं सेनिटेशन के कार्यों में लाखों की संख्या में मजदूर कार्यरत हैं जैसे कि रेलवे, कल- कारखाने, खदान, अस्पताल, शिक्षण संस्थान, नगर शहर, इत्यादि जगाहों में कार्यरत हैं.
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इनमें जो कार्यरत मजदूर है इनके लिए वर्तमान समय में कोई भी कानून काम नहीं करता है जिसके चलते इन्हे न्यूनतम मज़दूरी तथा अन्य आर्थिक लाभ से वंचित रहना पड़ता है, जबकि यह कार्य ठेका प्रतिष्ठानों से करवाना गैर कानूनी है. लेकिन उसके बाद भी ठेके के माध्यम से लाखों की संख्या में मजदूरों से कार्य करवाया जा रहा है. यह मजदूर आर्थिक सामाजिक एवं ज्ञान से भी कमजोर है इनमें अधिकांश दलित आदिवासी एवं इसी तरह के कमजोर जाति के लोग कामों में लगे हुए हैं.
प्रधानमंत्री ने कुम्भ मेले में साफ- सफाई कार्य करने वाले मजदूरों का पैर धोकर सम्मानित किया लेकिन उनके जीवन स्थिति पर आज तक कुछ सोचा ही नहीं है. इन मजदूरों को समाज में घृणा नफरत अछूत जैसे मानव समाज में झेलना पड़ता है. संवाददाता सम्मेलन के माध्यम से मांग की गई कि इन कार्यों को ठेका से करवाने वाले प्रतिष्ठानों के विरुद्ध संघीय अपराध घोषित करते हुए कारवाई की जाये. संवाददाता सम्मेलन में बताया गया कि जहां कहीं भी कार्यरत साफ- सफाई एवं सेनिटेशन मजदूरों को परमानेंट किया जाए. इसको लेकर एक ज्ञापन राष्ट्रपति को उपायुक्त के माध्यम से देने का निश्चय किया गया है. इस संवाददाता सम्मेलन में मुख्य रूप से यूनियन के सचिव रमेश मुखी, रामदास करूवा, भारत बहादुर, सीमा मुखी, मरियम टोपनो, सोमवारी हेमबरम,जामबी सोय, कार्तिक,रजनी, सुमित्रा बिरूली, सोमवारी सोय, इत्यादि मजदूर उपस्थित थे.
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