जमशेदपुर: वैश्विक महामारी कोरोना ने स्वास्थ्य विभाग की कलई खोलकर रख दी है. सारे सिस्टम ध्वस्त हो चुके हैं. इस महामारी ने सरकार और सरकारी तंत्र को दावों का आईना दिखा दिया है. अब भी अगर न चेते तो मानव जाति का अंत तय है. सत्ता पक्ष और विपक्ष मंदिर- मस्जिद के नाम पर उलझ कर नहीं रही होती और अगर विकास के स्वरूप पर एकजुट होकर काम कर रही होती तो, आज जो मौत का मंजर नजर आ रहा है, शायद वह नहीं आता.
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अस्पताल है तो बेड नहीं. बेड है तो डॉक्टर नहीं. डॉक्टर हैं, तो सफाई और स्वास्थ्य कर्मी नहीं. हर कोई बेहाल है. मरीज बेहाल, मरीज के परिजन बेहाल. स्वयंसेवक बेहाल नेता, मंत्री- संत्री सब बेहाल. हम बात कर रहे हैं झारखंड के औद्योगिक नगरी जमशेदपुर की, जहां कोरोनावायरस संक्रमण का दूसरा लहर खूब कहर बरपा रहा है.
इस जानलेवा संक्रमण की जद में क्या आम, क्या खास. क्या गरीब, क्या अमीर. सभी आ रहे है. जो बच कर निकल जा रहे हैं वह खुद को भाग्यशाली मान रहे हैं, लेकिन ज्यादातर लोग लापरवाही के शिकार हो रहे हैं, और असमय कालकवलित हो रहे हैं. बड़ा ही भयावह मंजर जमशेदपुर के अस्पतालों में देखा जा रहा है. मौत का आंकड़ा हर दिन बढ़ता ही जा रहा है. दवाई से लेकर ऑक्सीजन और वेंटिलेटर बेड के लिए अस्पतालों के चक्कर काटते लोग नजर आ रहे हैं.
इधर कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम अस्पताल का नजारा भी भयावह है. वैसे तो करोड़ों रुपए सालाना बजट वाले इस अस्पताल में बदहाली और बदइंतजामी सालों भर देखने को मिलते हैं, लेकिन वैश्विक आपदा की घड़ी में यहां का नजारा क्या हो रहा होगा इसे आप बस महसूस ही कर सकते हैं.
यहां मरीजों की सेवा में दिन रात लगे सफाई कर्मी और स्वास्थ्य कर्मी 24- 24 घंटे ड्यूटी बजाने को मजबूर हैं. ये भी मरीजों की सेवा करते करते थक चुके हैं. इतने बड़े अस्पताल में महज डेढ़ सौ सफाई कर्मियों के भरोसे मरीजों का इलाज चल रहा है.
आप समझ सकते हैं कि यहां के सफाई कर्मियों की क्या स्थिति हो रही होगी. पिछली बार जब कोरोना का संक्रमण फैला था, सरकार ने आनन-फानन में यहां सफाई और स्वास्थ्य कर्मियों को अनुबंध पर बहाल किया था, लेकिन जैसे ही कोरोनावायरस संक्रमण कम हुआ सभी सफाई कर्मियों को हटा दिया गया.
इस वैश्विक आपदा से लड़ते- लड़ते कई सफाई कर्मी मौत के गाल में समा गए. कई स्थाई सफाई कर्मी सेवानिवृत्त हो चुके हैं. अबतक सरकार और स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस अस्पताल में सफाई कर्मियों की नियुक्ति नहीं की गई है. ऐसे में यहां दिन-रात सेवा में जुटे सफाई कर्मी भी भगवान से इस वैश्विक आपदा से निजात दिलाने की फरियाद लगाते देखे जा रहे हैं. इनका कहना है, कि अब अगर सरकार की ओर से सुविधाएं नहीं बढ़ाई जाती है, सफाई कर्मियों की बहाली नहीं कराई जाती है, तो उनके लिए यहां सेवा देना दुश्वार हो जाएगा.
कर्मचारी महासंघ ने सरकार से अस्पताल में सफाई एवं स्वास्थ्य कर्मियों की अविलंब बहाली कराए जाने की मांग की है. साथ ही जो सफाईकर्मी मर चुके हैं, उनके आश्रितों को मुआवजा दिए जाने की मांग की है.
महासंघ ने नियमित सफाई कर्मियों की नियुक्ति एमजीएम अस्पताल में सुनिश्चित कराए जाने को लेकर सरकार से फरियाद लगाई है. कुल मिलाकर जमशेदपुर जो राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का गृह जिला भी है, यहां कमोबेश सभी अस्पतालों की स्थिति यही हो चुकी है. खासकर एमजीएम जैसे इकलौते सरकारी अस्पताल में अगर बदहाली और बदइंतजामी का आलम रहेगा तो, आखिर गरीब मरीज जाए तो कहां जाएं.
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