जमशेदपुर में कोरोना वायरस के संक्रमण का दूसरा लहर कोहराम मचा रहा है. समय पर ईलाज, मेडिकल सुविधाओं में कमी और डॉक्टरों के अड़ियल रवैयों के कारण मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. निजी अस्पतालों में लूट मचा हुआ है.
ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड के लिए मरीजों को भर्ती करने के लिए 40- 40 हजार की वसूली की जा रही है. इतना ही नहीं मरीजों का सीटी टेस्ट के लिए अस्पताल सीधे मरीजों के परिजनों को बाहर से करने के लिए भेज रहे हैं उसके लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था भी मरीजों के परिजनों को ही करना पड़ रहा है ऑक्सीजन युक्त एम्बुलेंस के लिए एम्बुलेंस चालक शहर में ही लाने ले जाने के लिए 25 सौ से तीन हजार वसूल रहे हैं.
जो मरीज पूरी तरह से ऑक्सीजन सपोर्ट पर होते हैं उनके लिए परेशानी का सिलसिला काफी मार्मिक नजर आ रहा है. शहर के डायग्नोस्टिक सेंटरों में मरीज को ऑक्सीजन सपोर्ट पर सीटी जांच करने का कोई संसाधन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है.
शहर के बड़े डायग्नोस्टिक सेंटरों में शुमार डॉक्टर्स डायग्नोस्टिक सेंटर, जीवन दीप डायग्नोस्टिक सेंटर, डिस्कवरी डायग्नोस्टिक सेंटर में भी ऑक्सीजन सपोर्ट पर मरीजों का स्कैन करने की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है.
हद तो ये है कि इस मामले में डायग्नोस्टिक सेंटर मरीजों के साथ किसी प्रकार का कोई सहयोग भी नहीं करते. ऐसे में जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग आखिर इन डायग्नोस्टिक सेंटरों को किस आधार पर लाइसेंस निर्गत कर रखा है ये जांच का विषय है. जमशेदपुर में कोरोना वायरस का संक्रमण इस कदर हावी है कि हर मरीज कोरोना की चपेट में आ चुका है.
हर मरीज का ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा है और डॉक्टर सीधे ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड के लिए रिकमेंड कर रहे हैं. शहर के सभी अस्पतालों में नो बेड का बोर्ड लगा हुआ है.कोविड वार्ड से लेकर सामान्य वार्ड में तिल रखने की भी जगह नहीं बची है. ऑक्सीजन सिलिंडर और किट से लेकर मास्क, ऑक्सिमिटर जैसे उपकरणों का जबरदस्त क्राइसिस मचा हुआ है.
चार- पांच सौ रुपए का ऑक्सिमीटर दो से तीन हजार में बिक रहे हैं. मरीज ट्रीटमेंट के अभाव में मर रहे हैं. गरीब मरीज के परिजन लाचार विवश हो कर खुद को भगवान भरोसे छोड़ रहे हैं.सरकार और सरकारी मशीनरी का दावा पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है. निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम, जांच घरों और एम्बुलेंस सेवाओं के साथ ऑक्सीजन सपोर्ट सिस्टम पर नकेल नहीं कसा गया तो स्थिति और भी भयावह हो सकता है.