आईपीएल का आगाज हो गया है, मैच में डेढ़ सौ करोड़ के सट्टेबाजी का अनुमान सटोरियों ने लगाया है. रविवार को पहला मैच चेन्नई किंग्स और मुंबई इंडियंस के बीच गया जिसमें चेन्नई ने जीत दर्ज की. जिसमें लाखों करोड़ों का सट्टा लगाया गया. राजधानी के कई इलाकों में बुकीज़ और खाईवाल होटलों में अपने कमरों में बैठकर मैच के हर ओवर और हर गेंद में सट्टा खिलाते नजर आए. रायपुर में आईपीएल शुरू होते ही सट्टेबाजों की दिवाली शुरू हो जाती है, लेकिन आईपीएल शुरू होने के बाद से पुलिस को भी होटलों में समय-समय पर रेड कार्रवाई करने की जरूरत है. जिससे होटल में रुके सभी गेस्टों की असली पहचान हो पाए.
मैच में होती है स्पाट फिक्सिंग
पहले पूरे मैच यानी नतीजे फिक्स किए जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होने वाला है. अब स्पाट और फैंसी फिक्सिंग से ही काम चल जाता है. अब मैच फिक्स करने की जरूरत नहीं, स्पॉट फिक्सिंग से ही भरपूर कमाई हो जाती है. स्पॉट फिक्सिंग का मतलब है, कि मैच के किसी खास हिस्से को फिक्स कर देना. वहीं फैंसी फिक्सिंग काफी लोकप्रिय है. इसमें मैच की एक-एक गेंद पर कितने रन बनेंगे, कौन सा बैट्समैन कितने रन बनाएगा, पूरी पारी में कितने रन बनेंगे, इन सब पर सट्टा लगता है.
मैच में होता रेट फिक्स
आईपीएल क्रिकेट की जो सट्टेबाजी होती है, वो अवैध है, इसके रेट दिल्ली और मुंबई से तय होते है. वहां से रेट की जानकारी बड़े खाईवालों को पहुंचाया जाता है और वह से सटोरियों को और उनके धंधे से जुड़े लोगों को पहुंचाई जाती है. ये रेट सबसे पहले मुंबई पहुंचते हैं। फिर वहां से बड़े बुकिज़ और फिर वहां से छोटे बुकिज़ के पास पहुंचते हैं. अगर किसी टीम को फेवरेट मानकर उसका रेट 80-83 आता है, तो इसका मतलब यह है कि फेवरेट टीम पर 80 लगाने पर एक लाख रुपए मिलेंगे। दूसरी टीम पर 83 हजार लगाने पर एक लाख जीत सकते हैं। लेकिन जिस टीम पर सट्टा लगाया है, वो अगर हार गई तो लगाया गया पूरा पैसा डूब जाएगा. मैच आगे बढऩे के साथ टीमों के रेट भी बदलते रहते हैं.
पुलिस का ये मानना है कि पूरे आईपीएल क्रिकेट मैच में करीब तीन सौ करोड़ रुपए का कारोबार होता है. ऐसा ही हाल दूसरे देशों का भी है. आईपीएल जैसी लीग अपने चरित्र और खेल के फार्मेट के कारण सट्टेबाजों और फिक्सरों के लिए मुफीद बन चुका है. अंदाज है कि हर आईपीएल मैच पर करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपए की सट्टेबाजी होती है. सट्टे पर पैसे लगाने वाले को एजेंट कहते है वही सट्टे के स्थानीय संचालक को बुकी कहा जाता है. सट्टे के खेल में कोड वर्ड का इस्तेमाल होता है। सट्टा लगाने वाले एजेंट दो शब्दों खाया और लगाया का इस्तेमाल करते है. यानी किसी टीम को फेवरेट माना जाता है तो उस पर लगे दांव को लगाया कहते हैं. ऐसे में दूसरी टीम पर दांव लगाना हो तो उसे खाना कहते हैं. शहर में खाईवालों की फौज: राजधानी में सट्टा खाईवालों की फौज खड़ी हो गई है. सूत्र बताते हैं कि शहर में कई ऐसे स्थान हैं, जहां शाम होते ही महफिल सज जाती है. माना जा रहा है कि राजधानी में रोजाना लाखों रुपये का सट्टा और जुआ खेला जा रहा है. सूत्रों की मानें तो राजधानी में कई ऐसी जगहों में जुआ संचालित हो रहा है, जहां पांच से 10 लाख रुपये शो मनी रखी गई है, लेकिन पुलिस सिर्फ इन कार्रवाई नहीं कर पा रही है.
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