संपादकीय: बुधवार देर शाम झारखंड के मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया. 153 दिन सरकार चलाने के बाद चंपाई सोरेन ने बगैर किसी मीन- मेख और हाय- तौबा के जिस शालीनता के साथ राजभवन पहुंचकर अपना इस्तीफा दिया उससे सत्ता पक्ष से ज्यादा विपक्ष दुःखी नजर आया. जो साफ दर्शाता है कि चंपाई सोरेन का कद झारखंड की राजनीति में कितना बड़ा है. भले सत्ता के लोभ- लालच की वजह से सत्ताधारी दल के विधायकों ने नेतृत्व परिवर्तन को खामोशी से स्वीकार कर लिया, मगर इसके दूरगामी परिणाम होंगे इससे इंकार नहीं किया जा सकता है.
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बढ़ा चंपाई सोरेन का कद
बुधवार को जैसे ही चंपाई सोरेन को हटाए जाने की सुगबुगाहट होने लगी उसके बाद झारखंडी जनमानस की मनोदशा बदलने लगी. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनने की खबर बाहर आते ही सोरेन परिवार विपक्ष ने निशाने पर आ गया. इसके साथ ही झारखंडी जनमानस की धारणा सोरेन परिवार के प्रति बदलने लगी है. हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद सोरेन परिवार के प्रति जो संवेदना झारखंडी जनमानस की बनी थी उसमें कहीं ना कहीं कमी देखी जा रही है. भले सत्ता पक्ष में बैठे लोग इसे नकार रहे हो मगर आने वाले विधानसभा चुनाव में न केवल हेमंत सोरेन बल्कि “इंडिया” गठबंधन के लिए भी आत्मघाती साबित होने जा रहा है. हां इस बदले सियासी घटनाक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के कद में इजाफा हुआ है. उन्होंने जिस शालीनता से मुख्यमंत्री पद संभाला उसी शालीनता के साथ मुख्यमंत्री पद का त्याग कर पार्टी और सोरेन परिवार के प्रति वफादारी दिखाई. चंपाई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर साबित कर दिया कि उनके लिए हेमंत सोरेन से ज्यादा प्रिय “गुरुजी” यानी शिबू सोरेन और पार्टी है. 153 दिन के सरकार ने कभी किसी मंच से उन्होंने चंपाई सरकार नहीं बल्कि. वे सदा हेमंत सोरेन सरकार पार्ट- 2 कहते रहे. अपने हर संबोधन में वे हेमंत बाबू की योजनाओं को गांव- गांव पहुंचाने का जिक्र करते रहे. उन्होंने ऐसा किया भी.
जानें 153 दिन चले चंपाई सोरेन सरकार की उपलब्धियां
जमीन घोटाला के आरोप में ईडी द्वारा 31 जनवरी 2024 को हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया गया था. इससे पूर्व हेमंत सोरेन ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया था. अचानक से राज्य की सत्ता लड़खड़ाने लगी थी ऐसे में कोल्हान टाईगर के रूप में विख्यात चंपाई सोरेन पर पार्टी ने आस्था जताई और उन्हें आगे कर दिया. चंपाई सोरेन ने सत्ताधारी दल के विधायकों को एकजुट कर सरकार बनाने का दावा पेश किया उसके बाद 2 फरवरी 2024 को राज्य के 12 वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. उस दौरान उनके समक्ष कई चुनौतियां थीं. पार्टी को एकजुट रखना, गुरुजी यानी शिबू सोरेन को संभालना, घटक दलों के नेताओं और विधायकों को एकजुट रखना उसके साथ सत्ता को संभालते हुए 2024 के लोकसभा चुनाव में बेहतर परिणाम दिलाना, जिसमें उन्होंने बड़ी सफलता हासिल कर साबित कर दिया कि उनसे बड़ा रणनीतिकार झारखंड में कोई नहीं है. इस 153 दिन की सरकार में विपक्ष ने भी उनके कार्यशैली पर सवाल नहीं उठाए जो अपने आप मे सबसे बड़ी उपलब्धि रही. इसी दौर में हेमंत सोरेन की अर्धांगिनी कल्पना सोरेन को गांडेय से उपचुनाव जिताया. उन्हें अपनी बहू से ज्यादा सम्मान देकर सोरेन परिवार के प्रति अपनी वफादारी की पराकाष्ठा पार कर दी. इतनी वफादार गुरुजी की अपनी बड़ी बहू सीता सोरेन भी नहीं बन सकी. उन्होंने पार्टी को मझधार में छोड़कर अपना अलग रास्ता चुन लिया. ऐसा ही बोरियो विधायक लोबिन हेम्ब्रम और लोहरदगा विधायक चमरा लिंडा ने किया, बावजूद इसके चंपाई सोरेन ने सोरेन परिवार के प्रति अपनी वफादारी में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा. अंततः बुधवार को उन्होंने गुरु दक्षिणा के रूप में मुख्यमंत्री पद का त्याग कर बड़ी कुर्बानी दी है जो झारखंडी जनमानस में बड़ा संदेश दे गया है.
विपक्ष उवाच
बुधवार को बदले सियासी समीकरण के बीच सोरेन परिवार विपक्ष के निशाने पर आ गया है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि सोरेन परिवार से बाहर के आदिवासी नेता सिर्फ पालकी ढोने वाले होते हैं. कोल्हान के टाइगर को आज चूहा बना दिया. उन्होंने आदिवासी नेताओं के लिए इसे एक सबक बताया. वहीं प्रदेश भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने सोरेन परिवार पर कोल्हान टाइगर को सर्कस का टाइगर बनाने का आरोप लगाया. भाजपा सांसद दीपक प्रकाश ने कहा 5 महीने पहले शिबू सोरेन परिवार ने परिवार के किसी सदस्य को मुख्यमंत्री ना बना कर एक नाटक किया था. इसके बाद गांडेय विधायक सरफराज अहमद को इस्तीफा दिलाकर हेमंत सोरेन ने अपनी पत्नी को विधायक बनवाया ताकि उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जा सके, लेकिन चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बना दिया गया. अब जेल से बाहर आते ही हेमंत सोरेन फिर से मुख्यमंत्री बनने को तैयार हो गए तो अब सबकुछ आईने की तरह साफ हो चुका है, कि यह परिवार सत्ता से बाहर नहीं रह सकता.
सत्ता पक्ष के नेताओं ने क्या कहा
कुर्सी गंवाने के बाद मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि गठबंधन के निर्णय के अनुसार काम किया है. पिछले दिनों गठबंधन ने ही उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था तब हेमंत सोरेन जेल में थे. हेमंत बाबू अब वापस आ गए हैं गठबंधन ने नेतृत्व परिवर्तन का निर्णय लिया है फिर से उन्हें नेता चुना गया है इसलिए हमने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है. जो निर्णय है उसके अनुसार काम किया. हालांकि सत्ता पक्ष के विधायकों की बैठक में मुख्यमंत्री चंपई सोरेन भावुक दिखे.
इधर विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद हेमंत सोरेन ने कहा कि सारी प्रक्रिया पूरी कर रहे हैं. शपथ ग्रहण का समय बहुत जल्द बता दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव में मिलकर लड़ना है. हम सभी एकजुट रहे भाजपा को परास्त करना है.
आसान नहीं होगा “इंडिया” के लिए वापसी
राज्य में बदले राजनीतिक घटनाक्रम के बाद राजनीतिक विश्लेषकों के अलग-अलग राय हैं. विश्लेषकों का मानना है कि इससे हेमंत सोरेन के प्रति आदिवासी जनमानस की अवधारणा बदलेगी. उनके जेल जाने के बाद जो सहानुभूति राज्य की जनता में बनी थी अब उसमें कमी आएगी. आने वाले विधानसभा चुनाव में इसका परिणाम देखने को मिल सकता है, हालांकि उनके जेल में रहते “इंडिया” गठबंधन ने राज्य में लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया था, जिसका नेतृत्व मुख्यमंत्री रहते चंपई सोरेन ने किया था. एक बड़ा वर्ग का मानना है कि यदि हेमंत सोरेन सत्ता से बाहर रहकर चुनावी समर में जाते तो पार्टी को और इंडिया गठबंधन को इसका फायदा मिलता, मगर अब ऐसा नहीं लग रहा है.
ये लेखक के अपने विचार हैं इसमें अलग- अलग श्रोतों से संकलित रिपोर्ट समाहित हैं
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