सरायकेला जिले के आरआईटी थाना अंतर्गत वास्तु विहार के समीप कुलुपटंगा मौजा के मोती नगर और साईं कॉलोनी में लगभग चार एकड़ जमीन पर शुक्रवार को जिला प्रशासन द्वारा सीमांकन करते हुए कब्जा दिला दिया गया. हालांकि उक्त भूखंड पर वर्षों से अतिक्रमण कर रह रहे लोगों के समर्थन में झामुमो और कांग्रेस साथ खड़े नजर आए और किसी कीमत पर अतिक्रमणकारियों को उजड़ने नहीं देने का भरोसा दिलाया. वहीं एक तरफ अतिक्रमणकारियों के साथ झामुमो- कांग्रेस के नेता प्रशासन की कार्रवाई के विरोध में डटे रहे. दूसरी तरफ सरकारी जमीन की घेराबंदी हेतु अंचल अधिकारी गम्हरिया मनोज कुमार के नेतृत्व में सीमांकन कराया गया. साथ ही उक्त भूमि के चारो ओर ट्रेंच खोदकर डिमार्केशन कर दिया गया. इस संबंध में आदित्यपुर नगर निगम की ओर से बताया गया, कि उक्त भूखंड पर सालों से अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर अवैध निर्माण कर रखा है. साथ ही सरकारी जमीन से अवैध रूप से मिट्टी का खनन किया जा रहा है. इसको लेकर आदित्यपुर नगर निगम की ओर से गम्हरिया अंचलाधिकारी को जमीन पर दखल दिलाने का अनुरोध किया गया था. इसका मतलब साफ है, कि जानबूझकर अंचल कार्यालय द्वारा नगर निगम के अनुरोध को नजरअंदाज किया गया. और जमकर सरकारी जमीन को लुटने दिया गया. इसकी जांच गंभीरता से होनी चाहिए. नगर निगम का दावा है, कि कुलुपटांगा के एक सरकारी मध्य विद्यालय की भूमि से शुक्रवार को अतिक्रमण हटाते हुए आस-पास के क्षेत्र में हो रहे सरकारी भूमि पर अतिक्रमण की जांच भी गम्हरिया अंचल कार्यालय की टीम के द्वारा करते हुए अतिक्रमणकारियों की पहचान की गई है. सभी पहचान किए गए अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध अंचल अधिकारी गम्हरिया के कार्यालय से नोटिस जारी कर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करने की तैयारी शुरू कर दी गई है और पारित आदेश की अवमानना के विरुद्ध झारखण्ड लोक भूमि अतिक्रमण (संशोधन) अधिनियम 2016 की धारा 6 के अंतर्गत कार्रवाई किए जाने की बात कही गई है. बताया गया कि अतिक्रमणकारियों को सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा मामले में अधिकतम एक वर्ष तक की सजा या 25 हजार रूपए जुर्माना अथवा दोनों के साथ दंडित करने का प्रावधान है. उन्हें पहले स्वयं अतिक्रमण हटाने का अवसर दिया जाएगा, आदेश का अनुपालन नहीं होने की स्थिति में एकतरफा आदेश पारित करते हुए कानूनी कार्रवाई की जाएगी. आदित्यपुर नगर निगम को हस्तांतरित अन्य सभी भूमि का सीमांकन करवाते हुए हस्तगत करने का अनुरोध अंचल अधिकारी गम्हरिया से किया गया. उनके द्वारा आस्वस्त किया गया, कि शीघ्र ही ऐसे सभी मामलों का निपटारा युद्ध स्तर पर अभियान चलाकर किया जाएगा. अब सवाल ये उठता है कि नगर निगम प्रशासन इतने बड़े भूखंड पर हो रहे अवैध अतिक्रमण पर अबतक चुप क्यों बैठी रही. जब अंचल कार्यालय द्वारा उनके पूर्व के अनुरोध पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई, तो निगम प्रशासन ने मामले से जिले के वरीय पदाधिकारियों और नगर विकास विभाग को अवगत क्यों नहीं कराया. क्यों अंचल और नगर निगम के भूमिका की जांच नहीं होनी चाहिए. हालांकि गरीबों को सब्जबाग दिखाकर गरीबों को सरकारी जमीन बेचनेवाले भू माफिया अबतक पूरे प्रकरण में भूमिगत हैं. भूमिगत रहकर जमीन माफिया इसे राजनीतिक रंग दिलाकर मामले को तूल दिलाकर राजनीति करा रहे हैं.
शुक्रवार को प्रशासनिक कार्रवाई के विरोध में जमकर नारेबाजी भी देखने को मिली. कांग्रेस और झामुमो नेताओं ने अतिक्रमणकारियों के साथ चंपई सोरेन जिंदाबाद के नारे भी लगाए. अब देखना ये दिलचस्प होगा, कि नगर निगम प्रशासन को कब तक पूरे जमीन पर कब्जा मिलता है.
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