सरायकेला: 1 जनवरी 1948 को हुए खरसावां गोलीकांड के प्रत्यक्षदर्शी रहे एवं गोलीकांड में घायल हुए झारखंड आंदोलनकारी स्वर्गीय मांगू सोय एवं स्वर्गीय दशरथ मांझी की पुण्यतिथि आगामी 8 अप्रैल को सरायकेला के हेंसा गांव में मनाया जाएगा.
इस अवसर पर उक्त दोनों झारखंड आंदोलनकारियों के मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हेंसा गांव में की जाएगी. उक्त जानकारी देते हुए कार्यक्रम के आयोजक भूतपूर्व सैनिक शंकर सोय ने बताया है कि स्थान उपलब्ध होने के बाद मूर्ति की स्थापना की जाएगी. उन्होंने कहा कि उक्त दोनों झारखंड आंदोलनकारियों को यादगार बनाने के लिए दोनों की मूर्ति को खरसावां शहीद स्थल में स्थापित किया जाना था, परंतु शहीद स्मारक समिति के सदस्यों द्वारा खर्चा मास शहीद स्थल में स्थान नहीं दिया गया, जो झारखंड अलग राज्य के आंदोलन में घायल एवं शहीदों तथा आंदोलनकारियों का अपमान है, और निंदनीय भी है. पुण्यतिथि पर दोनों की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर भूतपूर्व सैनिक शंकर सोय ने झारखंड के मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, मंत्री, पूर्व मंत्री, विधायक, पूर्व विधायक, सभी जनप्रतिनिधियों, सभी गढ़ के राजा एवं आम जनता को ह्रदय से प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में आमंत्रित किया है.
*आंदोलनकारी को नहीं मिला सम्मान व पहचान*
खरसावां हाट मैदान में 1 जनवरी 1948 के गोलीकांड की घटना के प्रत्यक्षदर्शी रहते हुए गोली के शिकार भुरकुली के स्वर्गीय दशरथ मांझी और हेस्सा गांव के स्वर्गीय मांगू सोय दोनों ही अपने झारखंड की संकल्पना के साथ उम्र गुजरते हुए झारखंड नवनिर्माण पर अपने सम्मान की आस लिए हुए दुनिया से कूच कर गए. झारखंड आंदोलनकारी चिह्नितीकरण आयोग के प्रमुख स्वर्गीय सुधीर महतो भी उक्त दोनों आंदोलनकारियों के घरों पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया था, लेकिन उन्हें पहचान व सम्मान दिलाने की पहल की गई. प्रक्रिया जारी रहने के क्रम में ही सम्मान पाने की आस लिए चल बसे. जनप्रतिनिधियों द्वारा ही उनके आंदोलनकारी होने की पुष्टि करने के संबंध में जानकारी का अभाव बताया जा रहा है.