रांची: ईचागढ़ की विधायक सविता महतो ने झारखंड विधानसभा के जारी बजट सत्र के दौरान गुरुवार को तारांकित प्रश्न में चांडिल डैम के विस्थापितों का मामला प्रमुखता से उठाया. जिसमे उन्होंने चांडिल डैम का निर्माण वर्ष 1985 में किया गया है उत्तर अस्वीकारात्मक, लगभग 40 वर्ष पूर्व चांडिल डैम निर्माण के लिए अधिगृहित 116 गांव के विस्तापित को भू अर्जन कर मुआवजा अबतक लंबित है उत्तर आंशिक स्वीकारात्मक, सरकार के उदासीन रवैया के कारण 116 गांव के विस्थापितों को संपूर्ण मुआवजा भुगतान के अभाव में दर- दर की ठोकरे खा रहे है उत्तर अस्वीकारात्मक, यदि उत्तर स्वीकारात्मक है तो सरकार चांडिल डैम निर्माण से हुए विस्थापितों को उनके भू अर्जन का संपूर्ण मुआवजा भुगतान एवं अन्य सभी सुविधाओं देने का विचार रखती है.

उत्तर में बताया गया कि चांडिल डैम का निर्माण कार्य वर्ष 1982 से प्रारंभ कर वर्ष 1992 में पूरा किया गया है. चांडिल डैम से प्रभावित भू धारियों के अधिगृहित भूमि के भुगतान की कार्रवाई पूर्ण हो चुकी है तथा अधियाची पदाधिकारी को आधिपत्य भी सौंपा जा चुका है. पुनरीक्षित पुनर्वास नीति 2012 में वर्णित प्रावधान के अनुसार परियोजना से प्रभावित विस्थापितों को पुनर्वास की सुविधाए उपलब्ध करायी जा रही है. चांडिल डैम से कुल 116 ग्राम के कुल 19115 परिवार प्रभावित है. जिसमें से कुल 43 ग्राम पूर्ण तथा 73 ग्राम आंशिक रूप से प्रभावित है. कुल 15219 विस्थापित परिवारों को विकास पुस्तिका निर्गत की जा चुकी है. पुनर्वास स्थलों में कुल 1374 परिवारों को पुनर्वास स्थल में भूखंड आवंटित कर बसाया गया है तथा 12254 को आवासीय भूखंड के बदले समतुल्य राशि, 12691को गृह निर्माण अनुदा,12043 को स्वरोजगार अनुदान,10975 को जीवन निर्वाह अनुदान,10223 को परिवहन एवं 14 परिवारों को प्रशिक्षण अनुदान का भुगतान किया गया है. साथ ही चांडिल बांध से विस्थापित 1331 विस्थापितों को परियोजना में नौकरी दिया गया है.
