ईचागढ़: सरायकेला के ईचागढ़ विधानसभा सीट पर आगामी विधानसभा चुनाव में झामुमो को अंदरूनी कलह का सामना पड़ सकता है. आपको बता दें कि इंडिया न्यूज वायरल बिहार झारखंड ने सबसे पहले झामुमो में चल रहे अंदरूनी कलह का खुलासा किया था. जिसपर झामुमो के वरिष्ठ नेता सुखराम हेम्ब्रम ने मुहर लगाते हुए ईचागढ़ विधानसभा में चल रहे पार्टी के अंदरूनी कलह पर खुलकर अपनी बातें साझा की.
इंडिया न्यूज वायरल बिहार झारखंड से बातचीत के क्रम में झामुमो नेता ने विधायक सविता महतो पर पार्टी को कमजोर करने और पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का आरोप लगाया है. श्री हेम्ब्रम ने कहा कि पार्टी ने शहीद परिवार से होने के कारण ईचागढ़ विधानसभा सीट पहले पूर्व डिप्टी सीएम रहे सुधीर महतो के लिए छोड़ा, उनके निधन के बाद सविता के लिए छोड़ दिया, यहां के समर्पित झामुमो कार्यकर्ताओं ने पहले सुधीर महतो को विधानसभा भेजा, उनकी मौत के बाद उनकी धर्मपत्नी और वर्तमान विधायक सविता महतो को 2019 के चुनाव में विधानसभा भेजा, मगर वे चुनाव जीतते ही पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करने लगी और कुछ खास लोगों के लिए काम करने लगी. धीरे- धीरे ईचागढ़ के समर्पित झामुमो कार्यकर्ता पार्टी से दूर होते चले गए. आज पार्टी पूरे ईचागढ़ में कमजोर हो चुकी है. उन्होंने कहा कि समय आ गया है अब पार्टी आलाकमान इसपर निर्णय करे और भविष्य की रणनीति तय करें. वहीं अपनी दावेदारी के सवाल पर श्री हेम्ब्रम ने खुलकर स्वीकार किया और कहा पार्टी का हर कार्यकर्ता टिकट की ख्वाहिश रखता है, मै भी बीस साल से पार्टी की सेवा किया हूं यदि पार्टी उन्हें टिकट देती है तो वे पीछे नहीं हटेंगे और फिर से ईचागढ़ विधानसभा के कार्यकर्ताओं को संगठित कर यहां पार्टी के जीत का परचम लहरायेंगे.
वहीं जेबीकेएसएस, भाजपा और आजसू की चुनौती के सवाल पर सुखराम हेम्ब्रम ने कहा कि जेबीकेएसएस जो दिखा रहे हैं असल में वो हैं नहीं. उनका प्रभाव ईचागढ़ विधानसभा में उतना असर नहीं डालेगा. रही बात बीजेपी और आजसू की तो यदि समय रहते पार्टी आलाकमान ईचागढ़ विधानसभा सीट का रिव्यू करे और समर्पित कार्यकर्ताओं को सम्मान दे तो झामुमो के आगे कोई नहीं टिक सकेगा.
वहीं विधायक के साथ मंच सजा न करने के सवाल पर झामुमो नेता ने बेबाकी से अपनी बात रखते हुए कहा कि पिछले 4 साल से ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में पार्टी का कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया है. ऐसे में मंच साझा करने का कोई अवसर ही कार्यकर्ताओं को प्राप्त नहीं हुआ है. हां सरकारी कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति दर्ज करते हैं मगर विधायक से दूरी बनी रहती है.
जानिए ईचागढ़ विधानसभा के आंकड़े एक नजर में
बता दें कि ईचागढ़ विधानसभा के मतदाता सत्ता परिवर्तन के लिए जाने जाते हैं. यह सीट सामान्य सीट है और यहां से कोई भी दावेदारी कर सकता है. यही वजह रही है कि यहां कभी निर्दलीय, कभी झामुमो तो कभी बीजेपी के उम्मीदवार जीतते रहे हैं. कोई दावे के साथ नहीं कह सकता है कि यह सीट उनकी पारंपरिक सीट है. चलिए अब आपको ईचागढ़ विधानसभा सीट के आंकड़े बताते हैं. जो प्रत्याशियों के हार जीत पर अपनी मुहर लगाते हैं.
ईचागढ़ विधानसभा में लागभग 2.76 लाख मतदाता है. इसमें अनुसूचित जनजाति जिसमें संथाल, मुंडा और उरांव शामिल हैं, वैसे मतदाता लगभग 95 हजार हैं. वही मुस्लिम मतदाता करीब 30 हजार और कुड़मी मतदाता करीब 70 हजार, जबकि सामान्य श्रेणी के मतदाता लागभग 81 हजार हैं, जो यहां के प्रत्याशियों के हार- जीत तय करते हैं. एसटी और कुड़मी समुदाय का जिसे समर्थन मिल गया वे यहां बाजी मार ले जाते हैं. जेबीकेएसएस की नजर उसी कुड़मी समुदाय के मतदाताओं पर है, मगर आजसू और बीजेपी की भी कुड़मी वोटरों पर पकड़ अच्छी है. यही वजह है कि ईचागढ़ विधानसभा में अगला मुकाबला रोचक होने के आसार हैं.
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