DESK भाजपा 2024 के चुनावी मोड में आ चुकी है. 2024 में लोकसभा के साथ झारखंड में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त से भाजपा सबक लेकर झारखंड में आजसू के साथ गठबंधन किए बगैर चुनावी बैतरणी पार नहीं पा सकती इसका उन्हें अनुमान हो चुका है. रामगढ़ चुनाव का परिणाम इसका उदाहरण है.
यहां हम बात करें ईचागढ़ विधानसभा की तो यह सीट भाजपा- आजसू गठबंधन के पेंच को फंसा सकता है. भाजपा इस सीट को पारंपरिक सीट बताकर जहां दावेदारी कर सकती है वहीं आजसू इस सीट से हरेलाल महतो की दावेदारी किसी कीमत पर नहीं छोड़ सकती है. ऐसे में भाजपा- आजसू गठबंधन ईचागढ़ सीट को लेकर फंस सकता है.
सारथी को लेकर भाजपाइयों ने तेज की गोलबंदी
भाजपाई दिवंगत विधायक साधु चरण महतो की धर्मपत्नी सारथी महतो के समर्थन में गोलबंदी तेज कर दी है. सोमवार को चांडिल के पालना डैम में भाजपा द्वारा आयोजित होली मिलन समारोह के दौरान भाजपा किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष मनोज महतो ने मंच से यह कहकर खलबली मचा दी, कि विधायक स्वर्गीय साधु चरण महतो की कर्मभूमि इचागढ़ विधान सभा को संभालने के लिए उनकी धर्मपत्नी सारथी महतो आगे आएं. इसके साथ ही राजनीतिक हलके में खलबली मच गई है.
हरेलाल का दिनोंदिन बढ़ रहा जनाधार
पिछले विधानसभा चुनाव में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करा हरेलाल महतो ने भविष्य के राजनीति के संकेत दे दिए थे. हालांकि हरेलाल लगातार क्षेत्र में सक्रिय रहे और लोगों के हर सुख- दु:ख में अहम भूमिका निभाई. विधायक ना रहते हुए भी वे क्षेत्र के लोगों के दिलों में जगह बनाने में सफल रहे हैं. ऐसे में देखना यह दिलचस्प होगा कि भाजपा- आजसू गठबंधन में हरेलाल की भूमिका क्या तय होगी. वैसे राजनीति रंग बदलती है. कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा.
झामुमो भी कमतर नहीं, विधायक के खिलाफ माहौल
वैसे पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा- आजसू के गठबंधन ना होने और पूर्व विधायक अरविंद सिंह के चुनावी समर में मजबूत उपस्थिति का खामियाजा तीनों को उठाना पड़ा. यहां से पूर्व डिप्टी सीएम स्वर्गीय सुधीर महतो की धर्मपत्नी सविता महतो ने प्रचंड जीत दर्ज की. हालांकि चुनाव के बाद विधायक का जनता से दुराव और भाजपा नेता पूर्व विधायक साधु चरण महतो के असामयिक निधन से भाजपा- झामुमो थोड़ी कमजोर हुई, वहीं पूर्व विधायक अरविंद सिंह का क्षेत्र से दुराव और हरेलाल महतो की सक्रियता से जनता का मिजाज हरेलाल के पक्ष में होता दिख रहा है. फिलहाल सब राजनीतिक कयास हैं समय और जनता का मिजाज कभी भी बदल सकता है.