जमशेदपुर: जिले के प्रभारी सिटी एसपी ऋषभ गर्ग ने दहशतगर्द कार्तिक मुंडा के मारे जाने की पुष्टि कर दी है. शुक्रवार को मीडियाकर्मियों से बातचीत के क्रम में प्रभारी सिटी एसपी न बताया कि जमशेदपुर और सरायकेला पुलिस के मोस्ट वांटेड अपराधियों की सूची में कार्तिक का नाम सबसे ऊपर था. बीती रात सरायकेला पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि कार्तिक अपनी कथित पत्नी प्रेमा डोगरा के साथ सोनारी थाना अंतर्गत बाल विहार ग्रीन मित्तल अपार्टमेंट के चौथे माले पर रह रहा है, जिसके बाद आदित्यपुर पुलिस ने सोनारी थाने की मदद से ग्रीन मित्तल अपार्टमेंट में दबिश दी. जहां पुलिस किहत मिलते ही कार्तिक बालकनी से उतरकर भागने लगा जिसे उसका पैर फिसल गया और वह सीधे जमीन पर जा गिरा. मौके पर छापेमारी करने गयी पुलिस की टीम ने उसे टीएमएच पहुंचाया. जहां चिकित्सकों ने कार्तिक को मृत घोषित कर दिया है. उन्होंने बताया कि कार्तिक एक कुख्यात अपराधी था. उसके खिलाफ सरायकेला और जमशेदपुर में दर्जनों आपराधिक मामले दर्ज हैं. वह पिछले डेढ़ दशक से पुलिस को चकमा देकर दोनों जिलों में आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिला रहा था. कई कांडों में उसकी संलिप्तता ही और पुलिस की नजरों में वह लाल वारंटी घोषित था.
डेढ़ दशक के आतंक की दर्दनाक मौत पर परिजन मना रहे मातम आखिर क्यों ?
पिछले करीब डेढ़ दशक से कार्तिक मुंडा आतंक का पर्याय बन चुका था. पुलिस की नजरों में फरार कार्तिक जमशेदपुर और सरायकेला पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ था. मजे की बात ये है कि कार्तिक जमशेदपुर के पॉश इलाके में रहकर संगठित आपराधिक गैंग की मॉनिटरिंग कर रहा था और पुलिस को इसकी भनक नहीं थी. जिस जगह कार्तिक मारा गया वह एक हाई प्रोफाइल सोसायटी है. यहीं रहकर कार्तिक मुंडा सरायकेला और जमशेदपुर में हत्या, रंगदारी, लूट, बमबारी जैसी घटनाओं को अंजाम दिला रहा था. बताया जाता है की पुलिस के पास उसकी हालिया तस्वीर भी नहीं थी. कई बार पुलिस कार्तिक के सामने होती थी और कार्तिक अपने बदले हुलिए का फायदा उठाकर भाग निकलता था. मगर आज कार्तिक नाम के दहशतगर्द का दर्दनाक अंत हो चुका है. उसकी मौत पर मातम माना रहे परिजनों और उसकी कथित पत्नी प्रेमा डोगरा जो पुलिस की रेड के वक्त उसके साथ फ्लैट में मौजूद थी उसने पुलिसिया कार्रवाई को साजिश बताया है. उसके मातम मनाने से क्या कार्तिक के पाप धुल जाएंगे ? क्या रईसों के सोसायटी में रहकर आपराधिक गिरोह चलाने वाले कार्तिक मुंडा की कथित पत्नी उन विधवाओं के आंसुओं का हिसाब देगी जिसके सुहाग को उजड़ने का आरोप उसके कथित पति कुख्यात अपराधी कार्तिक मुंडा पर लगा है. क्या प्रेमा डोगरा उस मां को उसके जिगर के टुकड़े को लौटा सकेगी जिसे कार्तिक ने मरवाया है. क्या प्रेमा उस बहन के भाई को लौटा सकेगी जिसके भाई को कार्तिक ने मरवाया है. क्या कार्तिक की मौत पर मातम मनाने वाले परिजन उन नौजवानों को वापस ला सकेंगे जिसे कार्तिक ने अपने स्वार्थ के लिए अपराध की दुनिया में पहुंचाया. न जाने कितने युवाओं का भविष्य कार्तिक ने खराब कर दिया. खुद तो रईसों की सोसायटी में ऐशोआराम की जिंदगी जी रहा था और युवाओं को गुमराह करके उसे अपराध की दुनिया में धकेलकर गैंगवार, हत्या, लूट और बमबारी करवा रहा था. क्या ऐसे अपराधी के लिए मातम मनाने वालों के साथ जनता की सहानुभूति होनी चाहिए ?
सागर लोहार और संतोष थापा के साथ मिलकर चला रहा था गिरोह
हाल के दिनों में कार्तिक कुख्यात अपराधकर्मी सागर लोहार और संतोष थापा के साथ मिलकर आपराधिक गिरोह चला रहा है. इसमें बबलू दास, टूना सिंह, भट्टा लोहार, मोती विशोई, तारिणी लोहार (मृत) जैसे अपराधी शामिल हैं. इसके अलावा इनके द्वारा नए- नए युवाओं को भी प्रलोभन देकर उनसे आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिलाया जाता था. इसमें कई अपराधी सलाखों के पीछे हैं जिसके जेल में रहने से लेकर बेल कराने तक का खर्च कार्तिक उठाता था. कार्तिक की मौत के बाद अब सागर लोहार और संतोष थापा पर गिरोह की जिम्मेदारी आ गयी है.
सरायकेला पुलिस के निशाने पर था कार्तिक
जो काम पिछले 15 साल से जमशेदपुर और सरायकेला की पुलिस नहीं कर सकी उसे सरायकेला एसपी बनते ही मुकेश कुमार लुणायत ने महज कुछ दिनों के भीतर कर दिखाया. ये अलग बात है कि कार्तिक जिंदा नहीं पकड़ा गया. आपको बता दें कि जिले की कमान संभालते ही एसपी मुकेश कुमार ने जिले के विभिन्न थानों का भौतिक निरीक्षण और वहां के भौगोलिक जानकारी के साथ अपराधियों के संबंध में जानकारी जुटाना शुरू किया. पिछले दिनों कल्पनापुरी में हुए विवेक हत्याकांड मामले में गिरफ्त में आए सारे अपराधी कार्तिक मुंडा और सागर लोहार गिरोह के लिए काम करते थे. जिले के एसपी बनाए गए मुकेश कुमार लुणायत को सारी जानकारी थानेदार ने दी. चूंकि मुकेश कुमार लुणायत जामशेदपुर के ग्रामीण और सिटी एसपी रह चुके थे, उन्होंने नितिन कुमार से मिले इनपुट के आधार पर जमशेदपुर पुलिस से सहयोग मांगा और इस ऑपरेशन की अनुमति दे दी. वैसे सिविल सोसायटी के लोग दबी जुबान से यह कहते सुने गए कि जो हुआ अच्छा ही हुआ, यदि कार्तिक जिंदा पकड़ा जाता तो साल दो साल बाद जमानत पर छूट जाता उसके बाद फिर अपराध में जुट जाता. ऊपरवाले ने सदा के लिए उसकी फाइल ही बंद कर दी. इसके लिए पुलिस को कोसना कहीं से भी उचित नहीं है.