आदित्यपुर: सरायकेला जिले के आदित्यपुर थाना अंतर्गत हथियाडीह में जियाडा द्वारा उद्योग लगाने के लिए जमना ऑटो प्राइवेट लिमिटेड को 13.50 एकड़ जमीन आवंटित किया गया है. जमीन पर कब्जा करने पहुंची जमना ऑटो को ग्रामीणों का भारी आक्रोश झेलना पड़ रहा है. विदित हो कि पिछले कई सालों से कंपनी यहां आवंटित जमीन पर कब्जा करने को लेकर जद्दोजहद कर रही है, मगर अब जाकर कंपनी सीमांकन करने के करीब है. इससे पूर्व कंपनी को करीब 2 एकड़ जमीन की कुर्बानी देनी पड़ी है बावजूद इसके ग्रामीणों का विरोध जारी है.
ग्रामीणों के ज्यादातर मांगे पूरी फिर भी विरोध
बता दें कि ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए जमना ऑटो की ओर से जिला प्रशासन और कंपनी के अधिकारियों की मौजूदगी में ग्रामीणों के ज्यादातर मांगों को मान लिया गया है. इसके तहत करीब डेढ़ एकड़ भूमि में खेल का मैदान विकसित करने. गांव के आसपास सीएसआर के तहत विकास करने. गांव के युवाओं को हाउसकीपिंग के तहत रोजगार मुहैया कराने पर कंपनी सहमत हो गयी है और खेल के मैदान को विकसित करने का काम शुरू करा चुकी है. बावजूद इसके ग्रामीण यहां पिछले एक हफ्ते से विरोध- प्रदर्शन कर रहे हैं. जिसके बाद प्रशासन को सख्ती बरतनी पड़ी. विवादित स्थल के आसपास धारा 144 लगानी पड़ी और विरोध में उतरी महिलाओं को हिरासत में लेना पड़ा.
देखें हिरासत में ली गयी महिलाओं की तस्वीर
सवाल यह उठता है कि आखिर इसकी नौबत क्यों आयी ? क्या वाकई जमीन ग्रामीणों की है ? क्या जमना ऑटो ने सरकारी जमीन पर कब्जा किया है ? कंपनी ने अपने आवंटित जमीन से करीब दो एकड़ जमीन खेल के मैदान और रास्ता के लिए क्यों छोड़ा ? इसपर हम आगे बात करें इससे पहले ये जानना जरूरी है कि इतना त्याग करने के बाद भी ग्रामीणों ने विरोध क्यों किया और मंत्री चंपाई सोरेन, झामुमो नेताओं, ग्राम प्रधान और माझी बाबा का विरोध क्यों कर रहे हैं. पर्दे के पीछे से ग्रामीणों को किसने उकसाया और वे अचानक से भूमिगत क्यों हो गए आखिर उनकी मंशा क्या थी ? चलिए इस पूरे प्रकरण के पन्नो को आज एक- एक कर पलटते हैं.
दरअसल जिस जमीन को ग्रामीण पारंपरिक खेल का मैदान और जिस रास्ते को पारंपरिक रास्ता बात रहे हैं असल में वह जमीन वन विभाग से आयडा ने अधिग्रहित किया है ताकि यहां उद्योग लग सके. इसके लिए सरकार और सरकारी मशीनरी जिम्मेदार है न कि जमना ऑटो फिर उसका विरोध क्यों ! और कंपनी अपने जमीन से दो एकड़ क्यों दे ? बावजूद इसके मंत्री चंपाई सोरेन के निर्देश पर कंपनी प्रबंधन ने अपने जमीन पर खेल का मैदान और रास्ता देकर दिलेरी दिखाई क्या ये कम है ?
कंपनी ने ग्रामीणों को रोजगार में प्राथमिता देने सीएसआर के तहत गांव का विकास करने का भी भरोसा दिलाया है. जमना ऑटो के प्लांट हेड सुधीर चंदेल ने बताया कि वे शुरू से ही ग्रामीणों के साथ हैं और उनके लगभग सभी मांगों को मंत्री चंपाई सोरेन और जिला प्रशासन के निर्देश पर मान लिया गया है. हमने ग्रामीणों से जो भी वायदे किए हैं उसे फुलफिल कर रहे हैं और आगे भी सीएसआर के तहत क्षेत्र का विकास करते रहेंगे. ग्रामीणों का भी बढ़िया सहयोग मिला, मगर एक हफ्ते से नए लोग नई डिमांड लेकर फिर से विरोध में उतर गए हैं जिसे मानना संभव नहीं है फिर भी हम बीच का रास्ता निकले इसके लिए सार्थक पहल के लिए जिला प्रशासन के निर्देश पर काम कर रहे हैं. जिस रास्ते को लेकर ग्रामीण विरोध जता रहे हैं दरअसल उस रास्ते की जद में दो मकान आ रहे हैं. दोनों मकान जमना ऑटो के आवंटित जमीन में आते हैं. जिसे ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए प्रशासन और झामुमो नेताओं की पहल पर कंपनी ने छोड़ दिया. छोड़ ही नहीं दिया बल्कि एसडीओ की मौजूदगी में उनके शौचालय और जमीन की घेराबंदी भी करा दी. इतना ही नहीं एसडीओ के कहने पर उन लोगो को तत्काल कंपनी में रोजगार पर रखने का भरोसा कंपनी प्रबंधन ने दिया है.
शौचालय निर्माण और बाउंड्री करातीं एसडीओ पारुल सिंह
एसडीओ पारुल सिंह ने गांव के वैसे लाभुक जिनका राशन कार्ड नहीं है सीओ को तत्काल उन्हें राशन कार्ड मुहैया कराने साथ ही सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का निर्देश दिया है. एसडीओ ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में ग्रामीणों को नुकसान नहीं होने दिया जाएगा. फिर भी ग्रामीणों का विरोध क्यों ? चलिए अब आपको इसके पीछे का खेल बताते हैं. दरअसल ग्रामीण पिछले दिनों हुए वार्ता के बाद सहमत हो गए थे. यह इलाका मंत्री चंपाई सोरेन का गढ़ रहा है. इस बीच इस प्रकरण में झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति यानी जेबीकेएसएस, बिरसा सेना और भाजपा की एंट्री होती है. यहीं से मामला तूल पकड़ने लगा. फिर जो हुआ उसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी. जेबीकेएसएस- बिरसा सेना और बीजेपी ने माहौल को झामुमो के विरोध में डायवर्ट कर दिया.
बिरसा सेना के दिनकर कच्छप
जेबीकेएसएस समर्थक विदेश्वर महतो
बीजेपी नेता रमेश हांसदा
भोले- भाले ग्रामीण मंत्री चंपाई सोरेन और झामुमो नेताओं के उपकार भूल गए और उनके पुतले तक फूंक डाले. जिस झामुमो और मंत्री चंपाई सोरेन के संघर्षों की वजह से हथियाडीह का अस्तित्व है उसे ग्रामीण जेबीकेएसएस- बिरसा सेना और बीजेपी के नेताओं के प्रभाव में आकर एक झटके में भूल गए. जब प्रशासन ने सख्ती दिखानी शुरू की तब एक- एक कर सारे नेता गायब हो गए और पर्दे के पीछे चले गए. सामने रह गए हथियाडीह के भोले- भाले ग्रामीण.
झामुमो नेता रंजीत प्रधान और ग्राम प्रधान रश्मि मुर्मू का पुतला फूंकते हथियाडीह के ग्रामीण
नया ग्राम सभा गठित
बीते शुक्रवार को ग्रामीणों ने ग्राम सभा की जिसमें नया ग्राम प्रधान माझी बाबा और सदस्यों का चयन किया. फिर झामुमो नेताओं और ग्राम प्रधान का पुतला फूंका. मंत्री चंपई सोरेन और सरकार विरोधी नारे लगाए. ग्रामीणों ने जिस रंजीत प्रधान का पुतला फूंका उन्होंने बताया कि हथियाडीह को बचाने के लिए उन्हें जेल जानी पड़ी थी. आज ग्रामीण बाहरी लोगों के बहकावे में आकर उनका विरोध कर रहे हैं. हमने या मंत्री जी ने सदैव ग्रामीणों के हक में काम किया है. ग्रामीणों के अनुसार किसी भी कंपनी को स्थापित करने से पहले ग्राम सभा की अनुमति अनिवार्य है. प्रशासन जिस ग्राम सभा का दावा कर रही है वो फर्जी है. ग्रामीणों ने बताया कि सभी झामुमो के नेता हैं और मंत्री चंपाई सोरेन के आदेश पर माझी बाबा और ग्राम प्रधान बने हैं. जो मंत्री के इशारे पर कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं. हम ग्रामीण अपने हक और अधिकार के लिए तड़पते रहे और मंत्री के इशारे पर प्रशासन ने उनके अस्तित्व और अरमानों की हत्या कर दी जिसे हम कभी माफ नहीं कर सकते हैं.
डैमेज कंट्रोल में जुटा झामुमो
इस पूरे प्रकरण में झामुमो खेमे में हलचल तेज है. खबर है कि शनिवार को मंत्री चंपाई सोरेन ने हथियाडीह प्रकरण को लेकर अपने सिपहसालारों के साथ मंथन किया. अंदरखाने की माने तो मंत्री हथियाडीह प्रकरण को लेकर खासे नाराज हैं. नाराजगी की वजह मंत्री का बड़ा वोटबैंक का खिसकना माना जा रहा है. बता दें कि हथियाडीह में करीब डेढ़ हजार मतदाता हैं जो मंत्री चंपाई सोरेन का बड़ा समर्थक थे. जेबीकेएसएस ने उसे डायवर्ट कर दिया है.