गया: “काटोगे जब हरी बृक्ष तो हवा कहां से पाओगे” गीत से गुलजार हो रही है इन दिनों गया शहर के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित ब्रह्मयोनी पहाड़ की वीरान वादियां. जहां सुबह सवेरे लोग जल रथ (साइकिल) पर डब्बों में भरी पानी को पहाड़ की कठिन चढ़ाई चढ़ते हैं और पेड़ पौधों को सिंचित करते हैं.
साइकिल में लगे साउंड सिस्टम से बजने वाले पर्यावरण संरक्षण के गीत पर लोग झूमते नजर आते हैं. इस भीषण गर्मी में पहाड़ चढ़ना वैसे ही बहुत कठिन कार्य है. लेकिन इन युवाओं के जज्बे ने यह दिखा दिया है कि भले ही डगर कठिन हो, मगर हौसले बुलंद है, तो कोई भी कार्य आसान हो जाता है. दरअसल इस पहाड़ को बिना पेड़ वाला पहाड़ कहा जाता था. शहर के नजदीक होने के कारण लोग सुबह की सैर करने इधर आते हैं. एक दो लोगों ने पहाड़ पर पेड़ लगाने और उन्हें पानी देने की शुरूआत की. देखा देखी और लोग जुड़ने लगे और अब पर्यावरण संरक्षकों की पूरी टीम तैयार हो गयी. इस मुहिम के तहत पहाड़ पर सैकड़ों पेड़ लगाए जा चुके हैं. उनकी घेराबंदी की गयी है. नई तकनीक का सहारा लेते हुए सिंचित करने का उपाय भी किया गया है.
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इस पर्यावरण संरक्षण कार्य में लगे स्थानीय अशोक कुमार बताते हैं कि कोरोना काल में ऑक्सीजन की कमी से कई लोग मारे गए. ऐसे में हमलोगों ने यह ठाना की जिस पहाड़ी पर टहलने आते हैं, वहां क्यों ना पेड़ लगाया जाए. हमारे ग्रुप में लगभग 3 सौ लोग जुड़े हैं. उन सभी लोगों से बातचीत की गई. धीरे-धीरे लोग तैयार हो गए और अब अच्छी खासी हम लोगों की संख्या है. रोजाना अहले सुबह हम लोग अपने घरों से 5 लीटर, 2 लीटर और 1 लीटर का बोतल पानी भरकर निकलते हैं और साइकिल पर बनाए गए जल रथ पर रखकर पहाड़ पर चढ़ते हैं. इस दौरान पर्यावरण संरक्षण को लेकर गीत संगीत भी साउंड सिस्टम के माध्यम से बजाया जाता है. जिससे लोगों के बीच जागरूकता होती है. उन्होंने बताया कि इस मुहिम में वन विभाग भी सहयोग कर रहा है. पौधों और जाली की व्यवस्था वन विभाग के द्वारा की गई है. पानी को हम लोग पहाड़ पर स्थित पौधों में डालते हैं. जिसके बाद अब यह हरे-भरे होने लगे हैं. इतना ही नहीं सड़क के किनारे लगे पौधों को भी हम लोग पानी देने का कार्य करते हैं.
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अशोक कुमार (स्थानीय निवासी)
वहीं स्थानीय निवासी डॉ. वैभव प्रकाश बताते हैं कि पर्यावरण को हरा-भरा बनाए रखने और ऑक्सीजन की कमी ना हो इसे लेकर हम लोगों ने यह शुरुआत की है. यहां जो लोग सुबह में टहलने आते हैं, हम लोग उनके बीच पर्यवारण के प्रति जागरूकता फैलाते हैं. जिस तरह भीषण गर्मी में लोगों को हीट स्ट्रोक होता है और उन्हें पानी चढ़ाया जाता है, ठीक उसी तरह हम लोग पौधों के बीच पानी देने का कार्य सलाइन के माध्यम से करते हैं. पानी के बोतल में छेद कर पाइप लगाकर पौधों की जड़ तक पहुंचाते हैं. जिससे दिनभर उन्हें पानी मिलता है और उन में नमी बरकरार रहती है. उन्होंने कहा कि आगामी माह में 500 वृक्ष लगाने का लक्ष्य रखा गया है. इस कार्य में हम से जुड़े लोग विगत 10 और 15 सालों से लगे हुए हैं. कुछ लोगों ने हाल ही में शुरुआत की है. जल रथ द्वारा संगीत के माध्यम से लोगों के बीच जागरूकता का संदेश हम लोग देते हैं। प्रतिदिन ढाई सौ लीटर पानी जल रथ के माध्यम से ब्रह्मयोनि पहाड़ी पर लाया जाता है और पौधों को सिंचित किया जाता है. इस अनोखी पहल को लेकर गया शहर के कई क्षेत्रों से लोग भी जुड़ने लगे है.
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डॉ. वैभव प्रकाश (स्थानीय निवासी)
गया से प्रदीप कुमार सिंह की रिपोर्ट
4 Comments
Great work….we must encourage this and should take an oath for planting a tree…..Thanks to Ashok Kumar for such a promotive work….and special thank to all the attached members…..each and every citizen should take planting a tree seriously for upcoming generations pure environment….
पर्यावरण के संरक्षण हेतु लोगो के द्वारा लिया गया वृक्षारोपण का संकल्प बहुत ही अद्भुत और सराहनीय कदम है, बहुत ही विपरीत परिस्थितियों में बिना पानी और बिना किसी भी साधन के व्यवस्था के बिना पहाड़ पर वृक्षारोपण हेतु विभिन्न तरह के पौधों को लगाने की शुरुआत और जज़्बा उड़ीसा के कटक निवासी श्री सुरेंद्र नाथ बहेरा सर जो कि गया समाहरणालय में NIC में बहुत ही उच्च पद पर पदस्थापित है उन्होने किया है। एक पेड़ से किये गए उनके शुरुआत ने लोगो मे जज़्बा पैदा किया और काफिला बनता चला गया। वृक्षारोपण हेतु बहेरा सर और उनसे जुड़े सभी लोगो को तहे दिल से हार्दिक अभिवादन है। पर्यावरण के प्रति बहेरा सर और उनके पूरी टीम का जज़्बा और पेड़ लगाने का शानदार सफर बहुत ही अद्भुत अविस्मरणीय और अकल्पनीय है।
Great Salute To Behera Sir……
पेड़ो के लिये प्रतिकूल माहौल मे वर्तमान की विकट परिस्थितियों में भी बहेरा सर के द्वारा पेड़ लगाने की प्रक्रिया में बहेरा सर अपने युथ साथिओं को लेकर पैदल रास्ते से रोज़ करीब 3 km दुर्गम रास्तो से होते हुए सभी के साथ कंधे पर और हाँथ में लेकर 200 से 250 लीटर पानी रोज़ लेकर आते हैं जो कि बहुत ही अद्भुत कदम है। बहेरा सर की दृढ़ निश्चितता आज के युवाओ के लिये बहुत ही बड़ी प्रेरणा का स्त्रोत है। बहेरा सर और उनके पूरे टीम को इस प्रेरणादायक काम के लिए बहुत बहुत ऊर्जा मिले यही कामना करता हूँ।
बहेरा स्थान से ग्रीन कॉरिडोर होते हुए हैलीपेड तक वृक्षारोपण के कार्यक्रम में जुड़े हर लोग का योगदान बहुत ही अद्भुत और कभी नही भूलने वाला सफर है।
बेहेरा सर का बहुत बहुत आभार जो आपने प्रतिकूल स्थिति में भी पहाड़ पर पेड लगाने हेतु लोगो मे जज़्बा पैदा किया। वृक्षारोपण की शुरुआत बहेरा सर के तरफ सेकी गई और कारवाँ बनता चला गया।