गया: ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान धार्मिक नगरी गयाजी में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही उन्हें प्रेत बाधा से भी मुक्ति मिलती है. पिंडदान के लिए गया शहर में कई पिंड वेदिया है. जिन पर तीर्थयात्री अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान कर्मकांड करते हैं.
इसी क्रम में स्थानीय समाजसेवी चंदन कुमार सिंह ने पूरे विश्व में मारे गए लोगों एवं जीव-जंतुओं की आत्मा की शांति के लिए शहर के फल्गु नदी के पश्चिमी तट पर स्थित देवघाट पर सामूहिक पिंडदान व तर्पण कर्मकांड किया. पूरे धार्मिक विधि- विधान के अनुसार स्थानीय पंडा द्वारा पिंडदान कर्मकांड की प्रक्रिया को संपन्न कराया गया.
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इस मौके पर समाजसेवी चंदन कुमार सिंह ने कहा कि बाबू सुरेश नारायण मेमोरियल ट्रस्ट के बैनर तले पूरे विश्व में प्राकृतिक आपदा में मारे गए लोगों व जीव-जंतुओं की आत्मा की मोक्ष की प्राप्ति के लिए हमारे द्वारा पिंडदान किया गया है. यह परंपरा वर्षो से चली आ रही है. पहले हमारे पिता सुरेश नारायण सिंह द्वारा सामूहिक पिंडदान वर्ष 2001 से 2013 तक किया गया. पिता की मृत्यु पश्चात वर्ष 2014 से अब तक मेरे द्वारा प्रतिवर्ष प्राकृतिक आपदा में मारे गए पूरे विश्व के लोगों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में आपसी सौहार्द बना रहे, इसके लिए भी प्रार्थना की गई है.
जो लोग भी आपात स्थिति में मारे गए हैं और जिनका ब्रह्मांड में अपना कोई नहीं है मैं उनका पुत्र बनकर उनकी आत्मा की मोक्ष की प्राप्ति के लिए पिंडदान किया हूं. विश्व में शांति बनी रहे और लोगों को किसी भी प्रकार का कष्ट ना हो ऐसा हमने भगवान विष्णु प्रार्थना की हैं.
चंदन कुमार सिंह (पिंडदानी सह स्थानीय समाजसेवी)
वेंकटेश प्रपन्नाचार्य (पुरोहित श्री महंथ रामानुज मठ)
गया से प्रदीप कुमार सिंह की रिपोर्ट