गया (Pradeep Ranjan Singh): भारतीय संस्कृति में मृत्यु में बाद आत्मा को मोक्ष दिलाने के लिए पिंडदान करने की पौराणिक परम्परा रही है. बिहार के ‘गयाजी’ को देश-विदेश में मोक्ष धाम के रूप में जाना जाता है. पिंडदान कर्मकांड के करने के लिए गयाजी को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. वैसे तो पूरे साल गया में पिंडदान किया जाता है. लेकिन आश्विन मास के दौरान प्रतिवर्ष पड़ने वाले ‘पितृपक्ष’ के मौके पर पिंडदान का विशेष महत्व है.
इस दौरान देश-विदेश से भी पिंडदानी अपने पितरों की मोक्ष की आत्मा की शांति के लिए गयाजी आते हैं और विभिन्न पिंडवेदियों पर पिंडदान करते हैं. इसी क्रम में आज 4 विदेशी श्रद्धालुओं का दल गयाजी पहुंचा और अपने पितरों की मोक्ष की कामना हेतु पिंडदान कर्मकांड किया. ये चारों श्रद्धालु हॉलेंड (नीदरलैंड) से गयाजी पहुंचे. जहां सभी ने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए विष्णुपद मंदिर स्थित देवघाट पर पिंडदान किया.
इनमें 3 महिला संद्रावत, लीलावती, मिनाकोमरी और एक पुरुष चंद्रेकोमार शामिल है. सभी ने वैदिक मंत्रोच्चार कर अपने पितृदोष से मुक्ति के लिए पिंडदान कर्मकांड किया. इन श्रद्धालुओं को स्थानीय पंडा ने पूरे विधि विधान से पिंडदान कर्मकांडों को पूरा कराया.
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मिनाकोमरी, महिला श्रद्धालु, नीदरलैंड निवासी.
इस मौके पर नीदरलैंड से आई श्रद्धालु मिनाकोमरी ने कहा कि मैं यहां पितृदोष से मुक्ति के लिए पिंडदान करने आई हूं. गयाजी में पूर्वजों को लेकर होने वाले इस अनुष्ठान के बारे में मैंने इंटरनेट के माध्यम से पढ़ा था. जिससे यहां आने के लिए प्रेरित हुईं. पिंडदान करने के बाद मुझे अलग ही अनुभूति महसूस हुई. घर में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था.
इसलिए अपने इस पितृदोष से छुटकारा पाने के लिए यहां आयी हूं. उन्होंने यह भी बताया कि पितृपक्ष मेला में यहां प्रशासन के द्वारा अच्छी व्यवस्था की गई है. स्थानीय पंडाल के द्वारा बताए गए पूरे विधि विधान के साथ पिंडदान कर्मकांड की हूं.