गया/ Pardeep Ranjan महान स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय जिन्हें पंजाब केसरी और “लायन ऑफ पंजाब” के नाम से भी जाना जाता था, उनकी पुण्यतिथि राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के प्रदेश कार्यालय में डॉ. मनीष पंकज मिश्रा की अध्यक्षता में मनाई गई, जहां लोगों ने उनके चित्र पर पुष्प चढ़ा कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया.
इस मौके पर डॉ. मनीष पंकज मिश्रा ने कहा कि उनका जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के मोगा जिले में हुआ था, वे आर्य समाज के प्रबल समर्थक और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता थे. उनकी ओजस्वी वाणी और संघर्षशील व्यक्तित्व ने उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन का प्रमुख चेहरा बनाया था. लाला लाजपत राय ने स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा दिया और भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया. वे लाहौर में डीएवी कॉलेज की स्थापना से जुड़े थे. उनका मानना था कि भारत को स्वतंत्रता केवल आत्मनिर्भरता और स्वदेशी उत्पादों के उपयोग से ही मिल सकती है. 1928 में जब साइमन कमीशन भारत आया, तब उन्होंने इसके विरोध में नेतृत्व किया. विरोध के दौरान ब्रिटिश पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें लाला लाजपत राय गंभीर रूप से घायल हो गए. तब उन्होंने कहा था ‘मेरे शरीर पर पड़ी हर लाठी ब्रिटिश साम्राज्य के ताबूत में एक कील होगी’. उनकी चोटों के कारण 17 नवंबर 1928 को उनका निधन हो गया. वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे.
इस अवसर पर भाजपा जिला उपाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद अधिवक्ता ने कहा उनकी कुर्बानी ने भारत के युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित किया. उनकी पुण्यतिथि पर हम उनके अदम्य साहस और बलिदान को नमन करते हैं. श्रद्धा सुमन व्यक्त करने वालों में राणा रणजीत सिंह, महेश यादव, संतोष ठाकुर, गोपाल यादव सहित कई लोग शामिल हुए.