गया Report By Pradeep Ranjan सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह की जयंती पर मानवाधिकार संगठन के लोगों ने शहर के गुरुद्वारा में जाकर मत्था टेका. इस मौके पर राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनीष पंकज मिश्रा ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह की वीरता आज भी प्रेरणा का स्रोत है. आज उनकी जयंती पर गया गुरुद्वारा मे जाकर हमलोगों ने माथा टेककर नमन किया है.
उन्होंने कहा गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 को पटना साहिब में हुआ था. उन्होंने बचपन से ही धर्म और न्याय के लिए लड़ने का साहस दिखाया. 1699 में बैसाखी के दिन उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की, जो मानवता की सेवा और न्याय के लिए लड़ने का प्रतीक बना. उन्होंने पांच प्यारों को दीक्षा देकर यह संदेश दिया कि हर इंसान एक समान है और सभी को अन्याय के खिलाफ खड़ा होना चाहिए.
उनकी वीरता का सबसे बड़ा उदाहरण उनके द्वारा मुगलों के अत्याचार के खिलाफ लड़ी गई लड़ाई है. चमकौर की लड़ाई में गुरु गोविंद सिंह ने अपने 40 सैनिकों के साथ मुगलों की विशाल सेना का सामना किया. यह लड़ाई न केवल उनकी रणनीतिक क्षमता का प्रतीक है, बल्कि यह उनके साहस और बलिदान का उदाहरण भी है.
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मनीष पंकज मिश्रा (प्रदेश अध्यक्ष- राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन)
इस अवसर पर भाजपा जिला उपाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद अधिवक्ता ने कहा गुरु गोविंद सिंह ने अपने चार पुत्रों का बलिदान धर्म और न्याय के लिए दिया. उनके बड़े पुत्रों अजीत सिंह और जुझार सिंह ने चमकौर की लड़ाई में वीरगति प्राप्त की, जबकि छोटे पुत्रों जोरावर सिंह और फतेह सिंह को सरहिंद में जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया. उनके इस बलिदान ने धर्म और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए दुनिया को प्रेरित किया.
जयंती पर नमन करने वालों में राणा रंजीत सिंह, संतोष ठाकुर, वार्ड पार्षद 16 उपेंद्र कुमार सिंह, दीपक पांडेय, सुनील बंबइया, मंटू कुमार, बबलू गुप्ता, महेश यादव आदि लोग शामिल हुए.
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