गया (Pradeep Kumar Singh) तथागत की तपोभूमि बोधगया में 17वां अंतर्राष्ट्रीय त्रिपिटक समारोह को लेकर भव्य शोभायात्रा निकाली गई. यह शोभायात्रा बोधगया स्थित रॉयल थाई मोनेस्ट्री से निकाली गई, जो शहर के विभिन्न सड़क मार्ग से होकर कालचक्र मैदान तक पहुंची. शोभायात्रा में विश्व के कई देशों के हजारों बौद्ध धर्मगुरु एवं श्रद्धालु शामिल हुए.
शोभा यात्रा के दौरान श्रद्धालु ड्रैगन नित्य एवं पारंपरिक वाद्य यंत्रों को बजाते हुए चल रहे थे. बोधगया की सड़कों पर एक अलग ही नजारा देखने को मिला. त्रिपिटक सुत्तपाठ आगामी 10 दिनों तक चलेगा. इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज लगभग 1:30 बजे बोधगया पहुंचेंगे.
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शोभायात्रा में शामिल लाओस देश के बौद्ध भिक्षु भंते साईंसाना ने बताया कि कोरोना काल के कारण 2 वर्ष तक बोधगया में किसी तरह की पूजा का आयोजन नहीं हुआ था. लेकिन इस बार 17 वां अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक समारोह का आयोजन किया गया है, जो काफी भव्य तरीके से मनाया जा रहा है. बौद्ध धर्म में त्रिपिटक का बहुत ही महत्व है. बौद्ध धर्म मे थेरावाद पंत को मानने वाले लोग भगवान बुद्ध के मंत्रों का उच्चारण त्रिपिटक सुत्तपाठ के दौरान करते हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य मानवता एवं विश्व का कल्याण है. विश्व में शांति बनी रहे और लोग का जीवन सुखी हो, इसी कामना के साथ इस समारोह का आयोजन किया गया है.
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भंते साईंसाना (बौद्ध भिक्षु- लाओस)