गम्हरिया: टाटा स्टील की अनुषंगी इकाई टायो कॉलोनी में बीते सोमवार को हुए हादसे के चार दिनों बाद भी प्रभावित कर्मियों के लिए ना तो सरकार ने संवेदना दिखाई है ना ही दानवीर टाटा समूह ने. नतीजा यह है कि प्रभावित टायो कर्मियों का परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर है. स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा उन्हें भोजन- पानी मुहैया कराया जा रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के आश्वासन पर भी प्रशासन टस से मस नहीं हुआ है, ना ही टाटा समूह ने इनके लिए कोई राहत भरा पैकेज जारी किया है. ऊपर से राजनीतिक रोटी सेकने वाले नेताओं की यहां आवाजाही बढ़ गई है जिनका इनकी संवेदनाओं से कोई लेना- देना नहीं है.
टायो कॉलोनी में हुए हादसे में 16 फ्लैट जमींदोज हुए हैं. आपको बता दें कि ये वैसे फ्लैट थे जिसमें टायो के वैसे कर्मी रह रहे थे, जिन्होंने टायो से सेटलमेंट नहीं लिया है. इनका विवाद कोर्ट में चल रहा है. पहले से तंगहाली के दौर से गुजर रहे टायो कर्मियों के लिए यह हादसा किसी सदमे से काम नहीं है. इस हादसे में भले किसी की जान नहीं गई मगर बची- खुची संपत्ति फ्लैट के मालवों में दब गई है. इसमें घर के सामानों के साथ थोड़े बहुत जेवरात, बच्चों के किताब- कॉपी वगैरह शामिल हैं. चार दिनों बाद भी मलवे हटाने का काम शुरू नहीं हो सका है जो दर्शाता है कि इन कर्मियों के साथ किसी को कोई संवेदना नहीं है.
दो दिन पूर्व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और स्थानीय विधायक चंपई सोरेन यहां जरूर आए थे. उन्होंने भरोसा भी दिलाया था कि टाटा स्टील एवं संबंधित विभाग के पदाधिकारी से मिलकर उचित मुआवजा और फ्लैट दिलाने की पहल की जाएगी. बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री ने जमशेदपुर में टाटा के पदाधिकारी एवं जेवीएनएल के साथ बैठक भी की. उन्होंने बताया कि उपायुक्त को जेवीएनएल के फ्लैट की जांच कर प्रभावितों को उसमें शिफ्ट करने का निर्देश दिया गया है. मगर 24 घंटे बाद भी ना तो उपायुक्त ने जांच की, न ही उनके किसी प्रतिनिधि ने फ्लैट की जांच की. नतीजतन प्रभावित टायो कर्मी और उनका परिवार खुले आसमान के नीचे रात काटने को विवश हैं.
बता दे की पूर्व मुख्यमंत्री ने गम्हरिया अंचल अधिकारी को भी निर्देश दिया था कि प्रभावित लोगों को टाटा स्टील के सामुदायिक भवन में रहने का प्रबंध किया जाए, मगर प्रशासनिक स्तर पर इसकी पहल भी नहीं की गई है.
इधर गुरुवार को झारखंड क्रांतिकारी लोकतांत्रिक मोर्चा के सुप्रीमो और डुमरी विधायक जयराम महतो ने टायो कॉलोनी पहुंचकर जले पर नमक छिड़कने का काम किया. आपको बता दें कि ये वही जयराम महतो है जिन्हें बाहरी लोगों से नफरत है. एक नहीं सैकड़ो बार उन्होंने बाहरी और बिहारी को लेकर अनर्गल बयानबाजी किया है. जयराम ने कॉलोनी पहुंचकर मीडिया को जो बयान दिया वह बेहद ही हास्यास्पद रहा. उन्होंने बताया कि हमने डीसी से बात की है और इन्हें मदद करने का निर्देश दिया है. अब सवाल यह उठता है कि जहां पूर्व मुख्यमंत्री और स्थानीय विधायक की बातों को डीसी अनसुना कर रहे हैं, वहां डुमरी विधायक की क्या सुनवाई होगी इसे जले पर नमक छिड़कना नहीं तो और क्या कहेंगे.
दरअसल जो फ्लैट जमींदोज हुए हैं उन्हें टाटा ने कंडम घोषित कर रखा था और उसमें रह रहे कर्मियों को दूसरे फ्लैट में शिफ्ट करने की योजना चल रही थी, मगर जिस फ्लैट में उन्हें शिफ्टिंग किया जा रहा था वह फ्लैट भी जर्जर अवस्था में थे. जिसे कर्मियों ने लेने से इनकार कर दिया. बीते रविवार को फ्लैट का एक कोना गिरा वहीं सोमवार को 16 फ्लैट एक साथ जमींदोज हो गया. हालांकि, इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ है, मगर सवाल अब भी वही है कि आखिर इन प्रभावित टायो कर्मियों की क्या गलती है.
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