गम्हरिया (Bipin Varshney) मंगलवार को सरायकेला- खरसावां जिला के आदित्यपुर थाना अंतर्गत घोड़ा बाबा मंदिर के विपरीत दिशा में टाटा- कांड्रा मार्ग पर स्थित आरडी रबर फैक्ट्री में चोरी की नीयत से घुसे दो चोरों को कंपनी के गार्ड ने धर दबोचा. उसके बाद कंपनी के कर्मचारियों के साथ मिलकर बुरी तरह से पिटायी कर डाली. मारपीटकर इसकी सूचना पुलिस को दी.
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जहां सूचना पर पहुंचे आदित्यपुर थाने के एएसआई आलोक रंजन चौधरी ने दोनों युवकों की स्थिति देख कंपनी के अधिकारियों की जमकर क्लास लगायी. दोनों युवकों को बुरी तरह पीटा गया था. एक के सर से खून निकल रहा था दूसरे का पैर टूट गया था. वह चल फिर पाने की स्थिति में नहीं था. जिसके बाद दोनों युवकों को ईलाज के लिए गम्हरिया सुदायिक स्वास्थ केंद्र लेकर पहुंचे. युवकों का नाम विलियम कुमार और दिनेश महतो बताया जा रहा है. विलियम गम्हरिया शांति नगर का रहनेवाला बताया जा रहा है, जबकि दिनेश महतो शंकरपुर का रहनेवाला है. पिटाई से विलियम का पैर टूट गया है, जबकि दिनेश का सर फूट गया है. पुलिस के दबाव से कंपनी की ओर से दोनों का ईलाज कराया जा रहा है. हालांकि अभी कंपनी की ओर से लिखित शिकायत दर्ज नहीं करायी गयी है. थाना प्रभारी राजन कुमार ने बताया कि कंपनी के सुरक्षा कर्मियों ने चोर के साथ अमानवीय बर्ताव किया है, हाथ पैर बांधकर बेरहमी से पीटने की अनुमति किसी को नहीं है. समय पर पुलिस नहीं पहुंचती तो दोनों की स्थिति गंभीर हो सकती थी.
एएसआई आलोक रंजन चौधरी ने पत्रकार को फोटो लेने से रोका,
सूचना पर पहुंचे एएसआई आलोक रंजन चौधरी दोनों घायलों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गम्हरिया पहुंचे. जहां फोटो ले रहे बड़े अखबार समूह के वरिष्ठ पत्रकार को घायल युवकों की तस्वीर लेने से मना कर दिया. इतना ही नहीं केंद्र में तैनात सुरक्षा कर्मियों से पत्रकार को बाहर निकालने और कंपनी के कर्मियों से पत्रकार के मोबाईल से फोटो डिलीट करवाने की बात कही. उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार को सरकारी काम में बाधा उत्पन्न करने की बात कह परिचय पत्र की मांग की. पत्रकार के अनुसार उन्होंने अपना परिचय दिया, मगर आलोक रंजन ने उनकी एक न सुनी. और जबरन उन्हें बाहर निकलवा दिया, इस संबंध में आलोक रंजन चौधरी ने बताया कि वे पत्रकार को नहीं पहचानते थे, डॉ द्वारा ड्रेसिंग रूम से उन्हें बाहर निकलने कहा जा रहा था उन्हें लगा कि वे कॉमन मैन हैं, इसलिए उन्हें बाहर निकलने कहा गया. जबकि पत्रकार ने एएसआई की बातों को सिरे से खारिज किया और कहा डॉक्टर ने उन्हें ड्रेसिंग रूम से बाहर निकलने नहीं कहा था, बल्कि ड्रेसिंग रूम के बाहर खड़े होकर जब एएसआई उनसे पूछताछ कर रहे थे उसी दौरान डॉ अपने कक्ष से बाहर निकली और साइड हटने की बात कही. ऐसे में सवाल यह उठता है, कि क्या किसी भी घटना की तस्वीर लेने के लिए पत्रकारों को सरकार के अधिकारियों और बाबुओं की अनुमति लेनी होगी ? फोटो खींच लेने से किस तरह के सरकारी काम में बाधा उत्पन्न हो गयी ? हालांकि पत्रकार की आपत्ति पर थाना प्रभारी ने अज्ञानतावश गलती होने की बात कही और दुबारा इसकी पुनरावृत्ति नहीं होने का भरोसा दिलाया.
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