गम्हरिया/ Bipin Varshney निचले तबके के लोगों को रियायती दर पर केरोसिन तेल उपलब्ध कराने की सरकारी योजना अब काली कमाई का बड़ा जरिया बन गई है और इससे गरीब तबके के लोगों का भला हो ना हो लेकिन इस सिस्टम से जुड़े तमाम कर्ता- धर्ताओं ने एक मोटी रकम जरूर बना ली है. भ्रष्टाचार की इस गंगा में चाहे वह डीलर हो या आपूर्ति विभाग के कर्मचारी अथवा पदाधिकारी सभी ने गोते लगाकर अवसर का फायदा उठाने में कोई कंजूसी नहीं की.
ताजा मामला गम्हरिया प्रखंड से जुड़ा हुआ है. जहां जनवरी माह से लेकर अब तक लाखों लीटर केरोसिन तेल बिना जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों तक पहुंचे स्टॉक से गायब हो गया है. आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बकायदा नियमानुसार केरोसिन तेल की आपूर्ति जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों को की गई और उनके द्वारा ही इसे वितरित किया गया, लेकिन जब दुकानदारों से इसकी जानकारी ली गई तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में इंकार करते हुए कहा, कि बाजारी मूल्य केरोसिन तेल का काफी अधिक हो गया है. इसके कारण अब गरीब तबके के लोगों की हैसियत इसके उठाव करने की नहीं है. ऐसे में जब बिक्री ही संभव नहीं है तो उनके द्वारा किरासन तेल का उठाव नहीं किया जाता है. अब यहां एक बड़ा सवाल यह उठता है कि जब प्रखंड कार्यालय से जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों तक केरोसिन तेल पहुंचा ही नहीं तो आखिर यह गया तो गया कहां ?
जानकारों के मुताबिक आपूर्ति विभाग में बैठे अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से सारा तेल काला बाजार के हवाले कर दिया गया और इसके एवज में मोटी कमाई की गई. उल्टे कई दुकानदारों के साथ मिलीभगत कर दुकानदारों को भी मार्जिन मनी उपलब्ध करा दी गई, ताकि सब कुछ पाक- साफ दिखाया जा सके, लेकिन यहीं अधिकारियों से चूक हो गई. जिन जन वितरण प्रणाली की दुकानों तक केरोसिन तेल की आपूर्ति करने का दावा किया जा रहा है, उन दुकानदारों द्वारा तेल प्राप्ति पर हस्ताक्षर नहीं लिए गए हैं. ऐसे में दुकानदार भी अपनी जवाबदेही से मुक्त हो जा रहे हैं.
इधर मामले की सुगबुगाहट के बाद प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी सह प्रखंड विकास पदाधिकारी गम्हरिया ने तमाम जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों को जनवरी से लेकर मई महीने तक उठाए गए किरासन तेल का विवरण देने का निर्देश दिया है और कहा है कि वह अपने उठाव पंजी 2 दिनों के भीतर सहायक गोदाम प्रबंधक के मार्फत उन तक पहुंचाएं और इसे अति आवश्यक समझा जाए.
प्रखंड विकास पदाधिकारी के पत्र के बाद तो हड़कंप मच गया और इस काला बाजार की गंगा में डुबकी लगाये तमाम कर्मचारियों, अधिकारियों और डीलरों के माथे पर पसीने छूटने लगे हैं. सूत्रों के मुताबिक अगर इस मामले की गहनता से जांच की जाए तो इसमें कई लोगों की गर्दन फंस सकती है और संबंधित लोग अभी से अपनी गर्दन बचाने के प्रयास में भी जुड़ गए हैं. केरोसिन तेल के इस घोटाले को लेकर अटकलों का भी बाजार गर्म है और तमाम तरह की बातें लोग दबी जुबान से कर रहे हैं. मगर यहां देखना दिलचस्प होगा कि क्या भ्रष्टाचार में लिप्त ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों पर गाज गिरेगी अन्यथा मामले की लीपापोती कर फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी जाएगी.