आदित्यपुर: सरायकेला- खरसावां जिले में नवजात के कोख बदलने के खेल का indianewsviral में exclucive खुलासे के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. सदर एसडीओ सुनील कुमार प्रजापति के आदेश के बाद से एक ओर जहां आदित्यपुर पुलिस रेस हुई तो दूसरी ओर सिविल सर्जन ने जांच शुरू कर दिया है. वैसे सिविल सर्जन ने सहिया पर कार्रवाई के संकेत दिए हैं.
आपको बता दें कि सहिया जयंती सेन ने ही गर्भवती पूर्णिमा तांती को JSLPS कर्मी सुनीता प्रामाणिक के कहने पर बीते 27 मई की रात गम्हरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंची थी. जहां पूर्णिमा ने 28 मई की सुबह बच्चे को जन्म दिया था. जन्म के बाद जमशेदपुर के एमजीएम थाना अंतर्गत भिलाईपहाडी की रहनेवाली सुदीपटा दत्ता नवजात को लेकर फरार हो गई थी. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि अस्पताल के रजिस्टर में पूर्णिमा तांती के नाम की जगह सुदीप्ता दत्ता का नाम दर्ज है. जब सहिया जयंती सेन से पूछा गया तो उसने बताया कि सुनीता प्रामाणिक उर्फ सोमा के कहने पर उसने अस्पताल में गलत नाम एंट्री कराया. हमारा सवाल है क्यों ? आखिर सरकारी कर्मी होते हुए सहिया ने ऐसा क्यों किया ? दूसरा सवाल स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल से है कि बगैर पर्याप्त प्रमाण के कैसे गलत नाम रजिस्टर में दर्ज किया गया ?
अब सवाल ये है कि कौन है सुनीता प्रामाणिक उर्फ सोमा और उसने ऐसा क्यों किया ? क्या कनेक्शन है सुनीता का सुदीप्ता दत्ता से ? दरअसल सुनीता एक JSLPS कर्मी है और कांड्रा में सिलाई सेंटर और ब्यूटी पार्लर चलाती है. जहां वह आसपास की युवतियों और महिलाओं को प्रशिक्षण देती है. इसके अलावा खुद को मानवाधिकार कार्यकर्ता भी बताती है. सामाजिक कार्यों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व भी करती है इसी वजह से उसकी स्लम बस्तियों में पकड़ है, मगर इसके आड़ में सुनीता गैर कानूनी काम भी करती है. सुदीप्ता का सुनीता के साथ कोई रिलेशन नहीं था.
पूर्णिमा कांड्रा के स्लम बस्ती हरिश्चंद्र घाट में रहती है. उसके चार बच्चे हैं. उसका पति सिटी बस चालक है. उसका मालिक अनिल सिंह आदित्यपुर के पान दुकान में रहता है. अनिल सुदीप्ता को जनता था. सुदीप्ता को बच्चा नहीं हो रहा था उसने अनिल से बच्चा गोद लेने की बात कही. अनिल को इसकी जानकारी थी कि उसके चालक की पत्नी पूर्णिमा गर्भवती है. उसने अपने चालक को बच्चा सुदीप्ता को देने बदले में उसकी पत्नी के गर्भावस्था का पूरा खर्च उठाने का भरोसा दिलाया. पूर्णिमा गर्भ गिराना चाहती थी उसने सुनीता से संपर्क किया. सुनीता अनिल को जानती है, अनिल ने सुदीप्ता से मोटी रकम की डिमांड की और सुनीता को मिला लिया. सूत्रों की मानें तो इस पूरे खेल का सौदा अनिल ने चार लाख में किया. उसमें से सुनीता प्रमाणिक को 50 हजार दिया गया.
यहां से सुनीता ने अपना जाल बिछाया. इसमे उसने सबसे पहले सहिया को मिलाया. उसके बाद अप्रैल में जिला परिषद पिंकी मंडल से सुदीप्ता को यह कहते हुए मिलाया कि उसे शादी के 25 साल बाद भी बच्चा नहीं हुआ है वह पूर्णिमा के होनेवाले बच्चे को गोद लेना चाहती है. इसके लिए सुदीप्ता से एक आवेदन भी पिंकी मंडल को दिलाया. जिसपर जिला परिषद पिंकी मंडल, सहिया जयंती सेन और जेएसपीएल कर्मी सुनीता प्रामाणिक के भी हस्ताक्षर हैं. इसे सुदीप्ता ने सरकारी प्रक्रिया समझ लिया और सुनीता के साथ मिलकर अस्पताल में पूर्णिमा के जगह गर्भवती में अपना नाम दर्ज करा दिया, ताकि यह साबित हो कि बच्चे को पूर्णिमा ने नहीं सुदीप्ता दत्ता ने जन्म दिया है. इसमें सुदीप्ता हद तक सफल भी हो गई, मगर एक कहावत है कि खैर, खून, खांसी और खुशी छिपाने से भी छिपती नहीं है. घटना के दस दिन बाद indianewsviral के हाथ कुछ अहम सबूत हाथ लगे जिसकी परत दर परत पड़ताल के बाद इस पूरे खेल का खुलासा हुआ. खुलासे के बाद सदर एसडीओ सुनील कुमार प्रजापति ने एक्शन लिया. उधर सिविल सर्जन ने जांच शुरू की. इधर एसडीओ के आदेश के बाद आदित्यपुर पुलिस हरकत में आई. शनिवार को आदित्यपुर पुलिस की टीम थाना प्रभारी नितिन कुमार के निर्देशन में प्रभारी थानेदार सुरेश राम, सब इंस्पेक्टर सुषमा कुजूर, कांस्टेबल प्रियंका भारती व अन्य ने सुदीप्ता के मोबाईल लोकेशन को ट्रैप करते हुए पड़ोसी जिला जमशेदपुर के साकची स्थित एपेक्स नर्सिंग होम और लाइफ लाइन नर्सिंग होम में दबिश दी, मगर सुदीप्ता को इसकी भनक लग गई. सुदीप्ता ने बड़ी चतुराई से अपने मोबाइल को किसी और को दे दिया ताकि पुलिस मोबाईल लोकेशन के आधार पर गुमराह होती रहे.
जमशेदपुर में जांच करती आदित्यपुर पुलिस
इधर शाम करीब 5:00 बजे सुनीता एक ऑटो में सवार होकर गम्हरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचती है. उसके साथ पूर्णिमा तांती भी मौजूद थी. अनिल सिंह अपनी गाड़ी से सुदीप्ता और उसके पति को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचता है. गाड़ी पूर्णिमा का पति चला रहा था. यहां सुदीप्ता ने बच्चे को पूर्णिमा को सौंप दिया. पूर्णिमा को सिखाया गया कि वह पुलिस को ये बताए कि उसने सुदीप्ता को बच्चे को इलाज कराने के लिए दिया था.
देखें video जहां सुदीप्ता पूर्णिमा को बच्चा सौंप रही है
उसके बाद पूर्णिमा सुनीता के साथ ऑटो में बच्चे को लेकर कांड्रा पहुंचती है और पुलिस को सूचना दी जाती है कि पूर्णिमा को बच्चा सौंप दिया गया है. पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए कांड्रा पदमपुर टोल प्लाजा के पास से पूर्णिमा को बच्चे के साथ हिरासत में ले लिया और अपने साथ थाने ले गयी. जहां से सीडब्ल्यूसी पूर्णिमा और उसके नवजात को अपने साथ ले गयी है.
देखें तस्वीर जिस वक्त कांड्रा से पूर्णिमा को पुलिस ने हिरासत में लिया
अब सवाल यह उठता है कि क्या सुदीप्ता, जयंती, अनिल और सुनीता के खिलाफ कार्रवाई होगी ? वैसे पिंकी मंडल को सुनीता प्रमाणिक ने साजिश के तहत इस खेल का हिस्सा बनाया. इसका खुलासा पिंकी मंडल ने कैमरे के सामने किया है. पिंकी ने बताया कि उन्होंने एक जनप्रतिनिधि होने के नाते सुदीप्ता के आवेदन पर हस्ताक्षर किया था, मगर उसका वह दुरूपयोग करेगी इसका उन्हें आभास नहीं था. क्योंकि उसके बाद न सुनीता न सुदीप्ता ने उनसे संपर्क किया. वैसे संवैधानिक पद पर रहते पिंकी मंडल से भूल जरूर हुई है, मगर अब उन्हें पुलिस प्रशासन को सहयोग करने की जरूरत है. अब सबकी निगाहें सीडब्ल्यूसी की कार्रवाई पर टिक गई है.