आदित्यपुर: (Kunal Kumar) कहते हैं न कि जब सैयां भए कोतवाल तो डर किसका.. इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है झामुमो नेता बाबू दास ने. जो गम्हरिया प्रखंड कार्यालय कैम्पस में बने सरकारी मकान पर वर्षों कब्जा जमाए बैठा है. झामुमो नेता की रसूख ऐसी कि बीडीओ के 16 जून 2023 पत्रांक संख्या 635 के उस आदेश को जिसमें साफ- साफ निर्दिष्ट किया गया है कि पांच दिनों के भीतर आप उक्त सरकारी मकान को खाली कर दें. अन्यथा आपके ऊपर अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी, को धत्ता बताते हुए आजतक उक्त सरकारी मकान में कब्जा जमाए बैठे हैं.
ऐसे में अहम सवाल यह उठता है कि बाबू दास को आखिर किसका संरक्षण प्राप्त है, जो बीडीओ के आदेश को धत्ता बताते हुए बड़े आराम से सरकारी आवास पर कब्जा जमाए बैठा है. उससे भी बड़ा सवाल ये कि बीडीओ एक महीने बाद भी अपने आदेश का तामिला करा पाने में विफल रही जो कई सवाल खड़े कर रहे हैं.
(इसी सरकारी मकान में कब्जा जमाए बैठा है बाबू दास)
कौन है बाबू दास
दरअसल बाबू दास बालू के खेल का बड़ा खिलाड़ी है. राजनीतिक सरपरस्ती की वजह से बाबू दास हाल के दिनों में तब सुर्खियों में आया जब गम्हरिया के एक रेस्टोरेंट में उसने खुलेआम हथियार लहराए. उसके बाद इसी महीने की 2 तारीख को खुद पर जानलेवा हमले का आरोप लगाते हुए आदित्यपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराया है. मीडिया कर्मियों को बाबू दास ने अपने ऊपर गोली चलने की बात कही थी, जिसे पुलिस ने खारिज कर दिया था. दरअसल अपने ही साथियों के साथ खाने- पीने के दौरान हाथापाई हुई थी. मामला चाहे जो हो बाबू दास ने बीडीओ के आदेश को धत्ता बताकर साबित कर दिया है कि सरकारी आदेश केवल गरीब, बेसहारा और लाचारों पर ही प्रभावी होते हैं, रसूखदारों पर नहीं.
Reporter for Industrial Area Adityapur