गम्हरिया: टाटा- कांड्रा मुख्य मार्ग पर स्थित प्रसिद्ध धार्मिक स्थल घोड़ाबाबा मंदिर में बुधवार अहले सुबह से ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी रहा. उक्त मार्ग पर स्थित घोड़ाबाबा मंदिर लोगों के आस्था का केंद्र रहा है. यहां से गुजरने वाले हर श्रद्धालु नतमस्तक होकर भगवान से दुआएं मांगते हैं. हर साल मकर संक्रांति के बाद वाले अखान यात्रा के दिन यहां धूमधाम से घोड़ाबाबा पूजनोत्सव आयोजित की जाती है.
मान्यता है कि श्रद्धालु घोड़ा बाबा से जो भी मन्नत मांगते घोड़ा बाबा उसे पूरा करते हैं. मन्नतें पूरी होने के बाद श्रद्धालु मिट्टी के बने जोड़ा घोड़ा चढ़ाते हैं. यही कारण है कि घोड़ाबाबा हर जाति एवं संप्रदाय के बीच काफी लोकप्रिय हैं. गम्हरिया कुंभकार समाज द्वारा मंदिर परिसर की देखरेख व रखरखाव एवं पूजनोत्सव आयोजित किया जाता है. घोड़ाबाबा मंदिर का प्रसाद घर ले जाना वर्जित है. पूजनोत्सव के दिन हजारों श्रद्धालु मंदिर परिसर में बैठकर प्रसाद खाते हैं.
कुंभकार समाज के अध्यक्ष मनोरंजन बेज ने बताया कि वार्षिक पूजनोत्सव के दिन यहां आसपास के जिलों से लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. हर साल इसकी संख्या बढ़ती है. उन्होंने कहा कि तीन सौ साल पहले गांव में हैजा फैली थी. पूर्वजो के मान्यता के अनुसार रात के समय घोड़ा दौड़ने की आवाज सुनाई पड़ती थी. उसी समय घोड़ाबाबा की कृपा पाने और उन्हें खुश करने के लिए गांव के बाहर घोड़ाबाबा मंदिर की स्थापना की गई थी. घोड़ाबाबा गांव के लोगों को बीमारी एवं आपदा से रक्षा करते हैं. अखान यात्रा के बाद गांव में शादी- विवाह, खेती- बाड़ी समेत शुभ कार्य शुरू होता है.