आदित्यपुर: भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए संचालित सरायकेला जिले के आदित्यपुर स्थित कोल्हान के एकमात्र ईएसआईसी अस्पताल की व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है. अस्पताल का भवन देखकर आपको ऐसा लगेगा कि यहां सारी सुविधाएं मरीजों को मिल रही हैं, मगर भगवान न करे यदि आपको इस अस्पताल का सेवा लेने का अवसर प्राप्त हो गया तो ऊपर से टीपटॉप दिखनेवाले इस अस्पताल की तुलना आप मोकामा घाट से कर सकते हैं.
यूं कहें तो करोड़ों खर्च कर भारत सरकार ने भवन के साथ तमाम अत्याधुनिक सुविधाओं से इस अस्पताल को परिपूर्ण जरूर कर दिया है, मगर मैनपावर की कमी के कारण यहां न तो मरीजों को इमरजेंसी सुविधा मिल रही है, न ही प्रसव पीड़ा से ग्रसित महिलाओं के लिए मुकम्मल व्यवस्था उपलब्ध है.
आलम ये है कि इस अस्पताल में दवा से लेकर जांच व अन्य सेवाओं के लिए मरीज के परिजनों को ऊपरवाले के सहारे रहना पड़ रहा है. विगत एक पखवाड़े से इस अस्पताल से बाहर किसी दूसरे प्राइवेट अस्पताल में रेफर पर रोक लगा दी गई है. ऐसे में आपातकालीन मरीज या तो सीधे ऊपर जाए, या अपने निजी खर्च से अपना ईलाज कराएं. अस्पताल में डॉक्टर से लेकर मेडिकल सपोर्ट स्टाफ की घोर कमी है. भारत सरकार की ओर से डॉक्टरों एवं कर्मियों के लिए सैकड़ों क्वार्टर बनाए गए हैं मगर डॉक्टरों एवं मेडिकल सपोर्ट स्टॉफ की कमी के कारण सारे क्वार्टर खाली पड़े हैं. छुट्टी के दिन यदि मरीज को यहां ईलाज के लिए लाया गया तो उसे भगवान भरोसे ही रहना पड़ेगा.
कोल्हान प्रमंडल के करीब डेढ़ लाख मजदूरों का ईएसआईसी में निबंधन है. हर दिन इस अस्पताल के ओपीडी में औसतन 500 मरीज आते हैं, मगर कागजी पेचीदगियों की वजह से इनमें से आधे मरीज बैरंग लौट जाते हैं. एक्सरे, लेबोरेट्री टेस्ट के लिए मरीजों को बाहर रेफर किया जाता है जिसका खर्च उन्हें स्वयं वहन करना पड़ता है. रेफर केस में रांची या कोलकाता भेजा जा रहा है वो भी यदि अवकाश का दिन रहा तो इसकी कोई गुंजाइश नहीं है. ऐसे में अंदाजा लगा सकते हैं कि वैसे कामगार जो लिखना- पढ़ना भी नहीं जानते कागजी प्रक्रिया की वजह से केंद्र सरकार के इस अस्पताल से बेहतर स्वास्थ्य सेवा तक नहीं ले पा रहे हैं, जबकि अपनी गाढ़ी कमाई से हर महीने वे इसकी कीमत चुकाते हैं.
अकेले कोल्हान के करीब डेढ़ लाख मजदूरों को आधार मानें तो यदि एक मजदूर औसतन दो सौ रुपए प्रतिमाह अपने वेतन से ईएसआईसी मद में कटवाता है तो तीन करोड़ रुपए प्रतिमाह (आंकड़े ऊपर नीचे हो सकते हैं) कोल्हान के मजदूर ईएसआईसी को चुका रहे हैं. ऊपर से सरकार इतनी ही राशि इनके ठेकेदार या नियोक्ता से वसूलती है. मतलब छः करोड़ रुपए (आंकड़े ऊपर नीचे हो सकते हैं) हर महीने भारत सरकार को कोल्हान प्रमंडल के असंगठित क्षेत्र के मजदूर और उनके नियोक्ता चुका रहे हैं और सुविधा के नाम पर केंद्र सरकार “मोदी की गारंटी” का ढिंढोरा पीट रही है.
क्रमशः अगली रिपोर्ट में…..