झारखंड सरकार ने बिजली विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही के कारण हर दिन ऐसे कई उपभोक्ता प्रताड़ित हो रहे हैं, जिनके मीटर में तकनीकी खराबी के कारण उपभोक्ताओं का अधिक बिल आ रहा है. उपभोक्ता शिकायत तो दर्ज करा देते हैं, मगर निदान के लिए उन्हें दर्जनों बार विभाग का चक्कर लगाना पड़ता है, और टेबल- टेबल भटकना पड़ता है. वैसे इसके पीछे जब हमने दोषियों की पड़ताल शुरू की तो लाइनमैन की संलिप्तता सामने आयी, जो विभाग के वरीय अधिकारियों तक मामले को पहुंचने से पहले ही उपभोक्ता को सभी समस्याओं का समाधान कराने का भरोसा दिलाकर मोटी रकम वसूली का खेल खेलते हैं. हमारे संज्ञान में बसंती देवी, कंज्यूमर नम्बर KDV- 4794 का एक मामला आया, जिसके बाद हमने और भी उपभोक्ताओं से तफ्तीश की. जहां पड़ताल में हमने पाया कि उपभोक्ताओं के मीटर में फॉल्स रीडिंग शो कर रहा है, जिसकी लिखित शिकायत के बाद बिल में संशोधन के लिए लाइनमैन मोटी रकम की डिमांड करते हैं. वहीं रकम देने के बाद भी उपभोक्ताओं के समस्या का समाधान नहीं होता और वे विभाग का चक्कर लगाते नजर आते हैं. ऐसे कई उपभोक्ता आपको बिजली विभाग के कार्यालय के इर्द- गिर्द नजर आ जाएंगे. दरअसल बसंती देवी का पति मदन प्रसाद एक ऑटो ड्राइवर है. मीटर में खामी आने के बाद विभाग द्वारा कनेक्शन काट दिया गया. खराब मीटर की शिकायत के बाद भी उन्हें समाधान के बजाय कार्यालय का चक्कर काटना पड़ रहा है, जबकि उपभोक्ता द्वारा इंस्टॉलमेंट में पैसे जमा कराने की फरियाद भी लगाई गई. बावजूद इसके न तो विभागीय पदाधिकारी को इसकी चिंता है ना ही लाइनमैन को जबकि नियम कहता है कि किसी भी उपभोक्ता का लाईन काटने से पूर्व उसे तीन बार विभागीय नोटिस देना अनिवार्य है. वैसे विभागीय पदाधिकारियों के मिलीभगत से ऐसे दर्जनों उद्योग समूह एवं कारपोरेट मिल जाएंगे जो सरकारी आदेशों की अवहेलना करते हुए अपने- अपने संस्थानों में हर दिन हजारों यूनिट बिजली की चोरी कर रहे हैं. गंभीरता से अगर जांच हो गई, तो निश्चित तौर पर सरकार को बड़े राजस्व का फायदा मिलेगा.


