प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate-ED) ने बड़ी कार्रवाई की है. मंगलवार को यह कार्रवाई करते हुए ईडी ने विवेक पाटील की करीब 234 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली है.
Maharashtra: शेतकरी कामगार पार्टी (शेकाप) के नेता और पूर्व विधायक विवेकानंद शंकर पाटील (Vivek Patil, Ex MLA & PWP Leader) पर प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate-ED) ने बड़ी कार्रवाई की है. मंगलवार को यह कार्रवाई करते हुए ईडी ने विवेक पाटील की करीब 234 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली है. ED ने बैंक घोटाला मामले में चार बार के विधायक रह चुके और कर्नाला नागरी सहकारी बैंक (Karnala Urban Co-Operative Bank) लिमिटेड के पूर्व अध्यक्ष विवेकानंद शंकर पाटील की 234 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति जब्त कर ली है. जब्त की गई संपत्ति में कर्नाला क्रीड़ा अकादमी और अनेक अन्य ठिकानों की जमीन शामिल है.
जून महीने में गिरफ्तार किए गए थे विवेक पाटील
कर्नाला बैंक के 529 करोड़ रुपए के घोटाले के प्रमुख आरोपी और शेकाप के पूर्व विधायक विवेक पाटील को जून महीने में मुंबई के ईडी जोन-2 के सहायक संचालक सुनील कुमार ने उनके निवास स्थान पर अरेस्ट किया था. राज्य शासन के गृह विभाग द्वारा गिरफ्तारी में टालमटोल किए जाने पर तीन महीने पहले पनवेल संघर्ष समिति ने ईडी के मुख्य संचालक सुशील कुमार से लिखित शिकायत की थी. इसके बाद यह गिरफ्तारी हुई थी. 529 करोड़ के घोटाले में शामिल हैं विवेक पाटील और उनके सहयोगी पनवेल स्थित कर्नाला अर्बन सहकारी बैंक के 529 करोड़ के घोटाला में पूर्व विधायक विवेक पाटील सहित उनके अनेक संचालक मंडल के सदस्य शामिल हैं. 50 हजार 689 कस्टमरों के 529 करोड़ रुपए बैंक में जमा थे. बैंक की शुरुआत में ही शेकाप नेता ने बैंक को अपना निजी व्यवसाय समझा और गलत तरीके से फर्जी अकाउंट बनाकर करोड़ों रुपए बैंक से निकाले और यह पैसे कर्नाला चैरिटेबल ट्र्स्ट और कर्नाला क्रीड़ा अकादमी में डाले गए. ये दोनों संस्थाएं विवेक पाटील द्वारा ही बनाई गई और उन पर पूरा नियंत्रण भी उन्हीं का था. ईडी ने अब ये संपत्ति जब्त कर ली है. मुंबई पुलिस की आर्थिक गुनाह शाखा द्वारा 2019 में दर्ज करवाई गई शिकायत के आधार पर ईडी ने इस प्रकरण में मनी लॉन्ड्रिंग के कानून के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू की. 2019-20 में रिजर्व बैंक के आदेश के मुताबिक कर्नाला अर्बन को ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पनवेल मुंबई के खिलाफ ऑडिट करवाया गया तो ये सारी हेराफेरी सामने आई. 2008 से चल रही थी हेराफेरी ईडी की जांच में यह पता चला कि यह हेराफेरी 2008 से शुरू थी. 67 फर्जी अकाउंट तैयार किए गए थे. इस फर्जी तरीके से निकाले गए पैसों का इस्तेमाल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, कॉलेज और स्कूल जैसी संस्थाओं को शुरू करने में इस्तेमाल किया गया.