NATIONAL शुक्रवार की रात 11:32 में दिल्ली एनसीआर, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, हरियाणा सहित देश के कई हिस्सों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. भूकंप के झटके इतने तेज थे कि लोगों में हड़कंप मच गया. अचानक आए इस भूकंप की वजह से लोग अपने घरों से बाहर आ गए. भूकंप के झटके काफी देर तक महसूस हुए. ये झटके ऐसे समय में लगे हैं जब लोग खा- पीकर सोने की तैयारी में थे. झटके लगने के बाद लोग अपने घरों से बाहर आ गए. सोशल मीडिया पर लोग वीडियो शेयर कर रहे हैं, जिसमें साफ भूकंप का असर दिख रहा है.
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी ने जानकारी देते हुए बताया कि भूकंप का एपिसेंटर नेपाल में था. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.4 मापी गई है. जानकारी के अनुसार, ये भूकंप जमीन के 10 किमी नीचे आया था. नेपाल में केंद्र होने के कारण इस भूकंप के तेज झटके उत्तर प्रदेश और बिहार के इलाकों में भी महसूस किए गए हैं. भूकंप के तेज झटके महसूस होने के बाद लोग घबराहट में घरों के बाहर निकल आए. भूकंप के झटके बिहार से लेकर यूपी समेत दिल्ली तक महसूस किए गए. बिहार में जब भूकंप आया उस समय तक अधिक लोग सो चुके थे. ऐसे में अचानक भूकंप के झटकों से लोगों की नींद खुल गई और लोग घबराकर अपने घरों से बाहर आ गए. भूकंप के झटकों से पंखा समेत घर का सामान हिलने लगा. भूकंप के बाद भी लोग अपने घरों के भीतर जाने से डर रहे थे.
नेपाल में भारी तबाही
नेपाल में शुक्रवार रात 6.4 तीव्रता का जोरदार भूकंप आया, जिसके झटके भारत की राजधानी दिल्ली सहित उत्तर भारत के कई हिस्सों में महसूस किए गए. भूकंप में नेपाल में अब तक 69 लोगों की मौत हो चुकी है. 150 से अधिक लोगों के घायल होने की सूचना है. रुकुम पश्चिम में 36 और जाजरकोट में 34 लोग काल कवलित हो गए हैं. वहीं नेपाल के अधिकारियों का कहना है कि मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है. जब भूकंप आया तो लोग अपने घरों में सो रहे थे और उनके संभलने का मौका का भी नहीं मिला, इस कारण लोगों की मौत का आंकड़ा बढ़ सकता है. भूकंप इतना शक्तिशाली था, उसके झटके भारत की राजधानी दिल्ली में भी महसूस किए गए. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार भूकंप का केंद्र 10 किमी की गहराई पर था. नेपाल के जाजरकोट, काठमांडू से लगभग 500 किलोमीटर पश्चिम में है. भूकंप का झटका महसूस होते ही काठमांडू में लोग अपने घरों से बाहर निकल आए, और चिल्लाने लगे.
नेपाल में शुक्रवार को जजरकोट के पश्चिमी क्षेत्र में आए जोरदार भूकंप से कम से कम 69 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए.
प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि भूकंप के झटके इतने तेज थे कि इससे सैकड़ों घर ढह गए. राहत और बचाव में लगी एजेंसियों ने बताया कि भूकंप से अब तक 69 लोगों की मौत हो चुकी है. बड़ी संख्या में लोग घायल हैं, जिन्हें इलाज के लिए नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. एजेंसियों को डर है कि मौत का आंकड़ा अभी काफी ज्यादा बढ़ सकता है. रात के कारण बचाव कार्य सिर्फ कुछ इलाकों में शुरु हो पाया है. नेपाल के प्रधानमंत्री घटना स्थल के लिए रवाना हो चुके हैं.
रात करीब 11 बजकर 32 मिनट पर आए भूकंप के कारण लोगों घरों से बाहर निकल गे. भूकंप का केंद्र नेपाल में अयोध्या से लगभग 227 किलोमीटर उत्तर और काठमांडू से 331 किलोमीटर पश्चिम उत्तर-पश्चिम में 10 किलोमीटर की गहराई में था. बता दें नेपाल में एक महीने में तीसरी बार तेज भूकंप आया है. नेपाल के रुकुम पश्चिम जिले में कम से कम 35 लोगों की मौत की सूचना मिली है. नेपाल के अधिकारियों केा अनुसार “बचाव और खोज टीमों को प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए भूकंप के कारण सूखे भूस्खलन से अवरुद्ध सड़कों को साफ करना होगा.” रामिदंडा, जहां भूकंप का केंद्र है, वहां तक तो अभी प्रशाशन का कोई अधिकारी नहीं पहुंचा है. नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में भूकंप में जान- माल के नुकसान पर गहरा दुख व्यक्त किया और सुरक्षा एजेंसियों को तत्काल बचाव और राहत अभियान शुरू करने का आदेश दिया है. वहीं दिल्ली-एनसीआर, यूपी, बिहार और उत्तराखंड सहित उत्तर भारत में तेज भूकंप आया है. शुरुआती जानकारी के अनुसार भूकंप के झटके करीब 20 सेकेंड तक महसूस किये गये. भूकंप का केंद्र नेपाल बताया जा रहा है. भूकंप के तेज झटकों के कारण लोगों में हड़कंप मच गया. लोग घरों से बाहर निकल आए. लोगों का कहना है कि उन्होंने काफी देर तक झटके महसूस किए.
बता दें धरती की ऊपरी सतह सात टेक्टोनिक प्लेटों से मिल कर बनी है. जब भी ये प्लेटें एक दूसरे से टकराती हैं वहां भूकंप का खतरा पैदा हो जाता है. भूकंप तब आता है जब इन प्लेट्स एक दूसरे के क्षेत्र में घुसने की कोशिश करती हैं और एक दूसरे से रगड़ खाती हैं. फ्रिक्शन के कारण धरती डोलने लगती है. कई बार धरती फट भी जाती है. वहीं कई बार हफ्तों तो कई बार कई महीनों तक ये ऊर्जा रह-रहकर बाहर निकलती है और भूकंप आते रहते हैं. इन्हें आफ्टरशॉक भी कहते हैं.