एक तरफ राज्य सरकार के निर्देश पर पंचायत- पंचायत “आपके अधिकार- आपकी सरकार- आपके द्वार” कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को सरकारी योजनाओं से आच्छादित करने का दावा किया जा रहा है. मगर मुख्यमंत्री के गृह जिले के आदिम जनजाति को सड़क, बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं भी आज तक उपलब्ध नहीं हो सकी है. यहां हम बात कर रहे हैं दुमका ज़िले के शिकारीपाड़ा प्रखंड के बांकीजोड़ पंचायत की. जहां क्षेत्र के गुमरो पहाड़ में में निवास करनेवाली पहाड़िया जनजाति के लोगों को शुद्ध पेयजल का घोर अभाव है. क्षेत्र में इन दिनों पेयजल संकट गहरा गया है. बताते चले कि दो साल पूर्व गुमरो पहाड़ में पेयजल के लिए लाखों की लागत से पानी टंकी का निर्माण हुआ था, लेकिन विभागीय उदासीन और संवेदक की लापरवाही से आजतक यहां के आदिम जनजाति को शुद्ध पेयजल मय्यसर नहीं हो सका है. हम कह सकते हैं कि पानी की टंकी ग्रामीणों के लिए शोभा की वस्तु बनकर रह गई है. टंकी में अब तक ना मोटर, ना पाइपलाइन ही लगा है. ठेकेदार आते हैं और ग्रामीणों को आश्वासन देकर चले जाते हैं.
सिर्फ और सिर्फ समय देकर चले जाते हैं. सोचने वाली बात यह है, कि दो साल बीत जाने के बाद भी अब तक किसकी लापरवाही से ग्रामीणों को पानी की टंकी से पानी नहीं मिल पा रहा है, वैसे इसी तरह के इन क्षेत्रों में कई पानी की टंकी मिल जाएंगे जो अबतक चालू नहीं हो सका है. बताते चले कि यह गांव पहाड़ी क्षेत्र में है ग्रामीणों ने बताया, कि वे पेयजल के लिए काफी दूर से पानी लाते हैं, और इनकम का आसपास कोई साधन नहीं होने के कारण पुरुष लोग तो मजदूरी के लिए बाहर निकल जाते हैं, वहीं महिलाओं को दूर से पानी लाना पड़ता है. जिस कारण महिलाएं काफी परेशान रहती हैं, क्योंकि उनका अधिकतर समय पानी लाने में ही निकल जाता है. ग्रामीणों ने मांग की है, कि पानी की टंकी को जल्द से जल्द चालू कराया जाए, ताकि हम लोगों को पानी के लिए समस्या ना हो.