DUMKA स्थानीय नीति को लेकर आंदोलन राज्य में तेज होने लगा है. यह आंदोलन कोल्हान, कोयलांचल के बाद अब संथाल में भी व्यापक जोर पकड़ने लगा है. शुक्रवार को उपराजधानी दुमका में फूलो- झानो मुर्मू 1932 खतियान संगठन के बैनर तले जिला के विभिन्न गांवो में हासा (मिटटी),भाषा और पेसा को लेकर आन्दोलन और जागरूकता अभियान चलाया गया. इसके तहत हिजला, रानीडिंडा, कड़बिल, श्री अमड़ा, जोगीडीह, सोनाडंगाल, खैयारबानी, कुसुमडीह आदि गांवो में ग्रामीणों को जागरूक और आन्दोलन के लिए तैयार रहने का आह्वान किया गया. संगठन गांव- गांव में कुल्ही दुरुह/बैठक कर रही है. संगठन की ओर से बताया गया कि सर्वप्रथम वर्तमान स्थानीय निति और नियोजन निति को रद्द किया जाय.1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू हो और तृतीय और चतुर्थ ग्रेड में सिर्फ 1932 खतियान धारियों के लिय ही नौकरी सुरक्षित किया जाय. नियोजन नीति में 1932 खतियान धारियों को प्राथमिकता दिया जाए, संताली को प्रथम राजभाषा घोषित किया जाय, बाहरी भाषाओ को क्षेत्रिय भाषा घोषित करना बंद किया जाय, अनुसूचित क्षेत्र में पेसा कानून लागू किया जाय और SPT & CNT एक्ट को सख्ती से लागू किया जाए. ग्रामीणों का यह भी कहना है, कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन के 1932 आधारित खतियान स्थानीय नीति के सपना को वर्तमान सरकार जल्द पूरा करे. अगर इन मांगो को सरकार नहीं मानती है तो आन्दोलन को और तेज किया जायेगा. जो पार्टी या नेता इसका समर्थन नहीं करते है, उसका सामाजिक और राजनितिक बहिष्कार किया जायेगा. जागरूकता अभियान में सोम हांसदा, अशोक टुडू, जियालाल हांसदा, बिजय टुडू, मनीष हांसदा, प्रदीप हांसदा, अजित हांसदा, शिवधन हांसदा आदि उपस्थिति थे.
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