दुमका: झारखंड की उपराजधानी दुमका के ऐतिहासिक गांधी मैदान के इर्दगिर्द हड़िया- दारू बेच रही महिलाओं ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जहां महिलाओं ने सरकारी योजना फूलो- झानो आशीर्वाद योजना का लाभ लेने से इंकार कर हर दिन पांच सौ रुपए दिहाड़ी देने की मांग सरकार से की है. हड़िया- दारु बेचने वाली महिलाओं ने साफ कर दिया है, कि अगर सरकार उन्हें नियोजित करना चाहती है, तो लोन नहीं बल्कि दिहाड़ी मजदूरी चाहिए वो भी पांच सौ रुपए, अन्यथा सभी महिलाएं आंदोलन को बाध्य हो जाएंगी. दरअसल राज्य सरकार की ओर से राज्यभर में “आपके अधिकार- आपकी सरकार- आपके द्वार” कार्यक्रम के माध्यम से जरूरतमंद लाभुकों को सरकारी योजनाओं से आच्छादित किया जा रहा है.
इसी क्रम में राज्य सरकार द्वारा हड़िया- दारु बेचने वाली महिलाओं के लिए फूलो- झानो आशीर्वाद योजना के तहत महिलाओं को दस हजार रुपए का अनुदान दिया जा रहा है, ताकि महिलाएं दूसरे रोजगार अपना कर इस धंधे से किनारा कर सकें. सवाल ये उठता है कि महिलाएं दस हजार में कौन सा व्यवसाय करें. दुमका मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का गृह जिला है.
यहां ऐतिहासिक गांधी मैदान के इर्द- गिर्द दिन भर हड़िया और दारू पीने पिलाने का दौर चलता रहता है. पिछले दिनों हमने इस खबर को प्रमुखता से दिखाई थी. जिसके बाद सीओ द्वारा यहां की महिलाओं से फूलो- झानो आशीर्वाद योजना से जुड़कर योजना का लाभ लेने की अपील की गई थी. कुछ दिन तो सब कुछ ठीक-ठाक चला, लेकिन फिर से यहां महफिल सजने लगी.
इधर शनिवार सुबह पुलिस ने गांधी मैदान के समीप हड़िया दारू बेचने वाली महिलाओं को खदेड़ना शुरू कर दिया, जिसके बाद आदिवासी महिलाएं आक्रोशित होकर पुलिस की कार्रवाई का विरोध शुरू कर दिया.
गांधी मैदान के समीप हड़िया- दारू बेचने वाली आदिवासी महिलाओं ने कहा, साहेब इसी की कमाई से घर चलता है. सरकार एक बार मे 10 हज़ार रुपये देगी, तो उससे क्या हो सकता है. प्रति दिन 500 रुपये मिलेगा तो शराब बेचना छोड़ देगें. हड़िया और दारू को हाथ भी नहीं लगाएंगे. सरकार इतना पैसा नहीं दे सकती तो फिर बेचते ही रहेगें.
उधर विवाद गहराता देख जेएसपीएलएस
के कई पदाधिकारी दुमका नगर थाने की पुलिस के साथ महिलाओं को समझाने और हटाने के लिए पहुंची मगर महिलाएं डटी रहीं. अधिकारियों ने बताया कि सरकार ने उनके लिए फूलों झानो आशीर्वाद योजना की शुरुआत की है. शराब की जगह दूसरा अन्य रोजगार करने के लिए 10 हज़ार रुपये दिए जाएंगे.
इसपर हड़िया दारू बेचने वाली महिलाएं भड़क गई. एक आदिवासी महिला फूल कुमारी ने कहा कि 10 हज़ार में क्या होगा, इतने कम पैसों से कोई रोजगार होता है क्या ! एक दिन में मेहनत कर 500 से अधिक रुपये कमा लेती हूं. इन पैसों से घर चलता है. बच्चों की शिक्षा होती हैं. अगर देना है तो रोज 500 रुपये का काम दीजिए. अगर नहीं मिलेगा, तो शराब बेचना कभी बंद नहीं करेंगे.
एसडीओ महेश्वर महतो ने भी महिलाओं को समझाने का प्रयास किया, लेकिन महिलाएं अपनी जिद पर अड़ी रहीं. वहीं एसडीओ ने कहा कि शराब बेचना बन्द नहीं किया तो मजबूर होकर सख्त कदम उठाना होगा.
नगर थाना प्रभारी देवव्रत पोद्दार ने कहा, कि शराब बेचना कोई अच्छा काम नहीं हैं. समाज मे गलत संदेश जाता है. सरकार रोजगार के लिए पैसा दे रही है, कोई ऐसा रोजगार करें, इससे दूसरे लोगोंको सबक मिलेगा. इस दौरान पुलिस ने हड़िया से भरे करीब एक दर्जन डिब्बे भी जब्त किए. अब सवाल ये उठता है कि आखिर अपने गृह जिले की जनता को समझाने में ही मुख्यमंत्री और उनका महकमा अगर विफल हो गया, तो राज्य की जनता कैसे इस योजना से जुड़ेगी और उसका लाभ लेकर आत्मनिर्भर बनेंगी. जबकि सरकार दावा करती है कि राज्य में करीब सवा लाख महिलाओं ने फूलो- झानो आशीर्वाद योजना का लाभ लिया है और खुद को आत्मनिर्भर बनाया है, सरकार और सरकारी मशीनरी को उन महिलाओं को आगे लाकर इन महिलाओं के साथ काउंसलिंग कराने की जरूरत है.