दुमका: राज्य में गुटखा, खैनी और पान- मसाला पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है. क्या वाकई इसका सख्ती से पालन हो रहा है ? वैसे इसका उदाहरण मुख्यमंत्री के गृह जिला दुमका में ही देखने को मिल जाएगा.
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जहां गुटखा और पान- मसाला कारोबारी खुद तो पर्दे के पीछे से मोटी कमाई करते हैं और सामने से महिलाओं से धड़ल्ले से मनमाने कीमतों में गुटखा और पान मसालों की बिक्री करवाते हैं. सरकारी प्रतिबंध का इनपर कोई असर देखने को नहीं मिलता. अब दाल में कुछ काला है या पूरी दाल ही काली है ये हम नहीं बता सकते, मगर जिस तरह पड़ोसी राज्य बिहार में शराबबंदी की आड़ में गोरखधंधे का खेल फलफूल रहा है उसी तर्ज पर झारखंड की उपराजधानी दुमका में भी हम कह सकते हैं, कि प्रतिबंध के बाद भी गुटखा और पान- मसाला कारोबारी मालामाल हो रहे हैं. नतीजा छोटे कारोबारियों को भुगतना पड़ रहा है. जिनपर कार्यवाई कर प्रशासन खानापूर्ति कर अपना पल्ला झाड़ लेती है, जबकि मोटे कारोबारी पर्दे के पीछे से बड़ा खेल कर रहे हैं.
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