जमशेदपुर: मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के मीडिया सलाहकार धर्मेंद्र गोस्वामी लंबे अरसे बाद स्टेज पर परफॉर्म करते नजर आए. यहां उन्होंने किसी की पैरवी से नहीं बल्कि चंद मिनटों में अपनी प्रतिभा से लोगों का दिल जीत लिया. इसकी चर्चा शहर में जोर- शोर से हो रही है.
दरअसल शुक्रवार को एक जागरण के कार्यक्रम में शिरकत करने सीएम के मीडिया सलाहकार धर्मेंद्र गोस्वामी “चंचल” जमशेदपुर के सोनारी कगलनगर पहुंचे थे. यहां उनके साथ जुगसलाई विधायक मंगल कालिंदी भी पहुंचे थे. मौका था जागरण नाईट का. सेलिब्रिटियों से सजे दरबार में धर्मेंद्र गोस्वामी और विधायक मंगल कालिंदी एक कोने में बैठकर भजन संध्या का लुफ्त ले रहे थे.
मगर दोनों के अंदर का कलाकार हिलोरें मारने लगा. जैसे ही उन्हें मंच पर बुलाया गया और उन्हें सम्मानित किया गया दोनों खुद को रोक न सके. भक्तों के अनुरोध पर पहले विधायक मंगल कालिंदी ने एक भक्ति गीत की प्रस्तुति दी
विधायक मंगल कालिंदी और चंचल गोस्वामी
उसके बाद बारी धर्मेंद्र गोस्वामी की थी. जैसे य वे मंच पर पहुंचे, फिर जागरण का माहौल ही बदल गया. धर्मेंद्र ने माइक पकड़ते ही माता रानी के भक्ति गीतों से मंजे हुए आर्केस्ट्रा कलाकार के तर्ज पर ऐसा शमा बांधा की श्रद्धालुओं और सेलिब्रिटीज से सजी महफ़िल में जान आ गईं.
भजन की प्रस्तुति देते चंचल गोस्वामी
उन्होंने अपनी पहली प्रस्तुति “दुलरी बाड़ी…. बाड़ी दुलरी…. ” पर जैसे ही सुर दिया कि इधर- उधर चहलकदमी कर रहे श्रद्धालुओं और सेलिब्रिटियों के कदम ठिठक गए और जैसे- जैसे धर्मेंद्र अपने लय में आते गए पूरी महफ़िल माता के भक्ति के गोते लगाते हुए जयकारों से गूंज उठा. उसके बाद उन्होंने जैसे ही इजाजत लेना चाहा भक्तों ने उन्हें रोक लिया. श्रद्धालुओं के डिमांड पर उन्होंने अपनी दूसरी प्रस्तुति दी. बोल थे “चला न दरबार पहाड़ा वाली के…” इसके बाद तो जागरण में मौजूद श्रद्धालुओ के जयकारों से पूरी महफ़िल गूंजने लगी. भक्त साधारण चंचल के असाधारण प्रतिभा के इस कदर कायल हुए की उनके मंच से उतरते ही उन्हें घेर लिया और बधाइयां देने लगे.
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इसी प्रतिभा ने धर्मेंद्र को बनाया ‘चंचल”
दरअसल धर्मेंद्र गोस्वामी अपने स्कूली जीवन से ही इस प्रतिभा के धनी रहे हैं. बिष्टुपुर एन रोड स्थित सेंट मेरिस हिंदी उच्च विद्यालय के छात्र रहे धर्मेंद्र गोस्वामी बेहद ही साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं. स्कूली जीवन से ही वे स्टेज पर कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेते थे. भोजपुरी गानों पर उनकी पकड़ और मंजे हुए कलाकारों की तरह स्टेज प्रोग्राम करने की कला उन्होंने बचपन में ही सीख ली थी. लखबीर सिंह लक्खा से वे खासे प्रभावित थे. घोर आर्थिक तंगी के बीच उन्होंने खुद को आर्केस्ट्रा कलाकार के रूप में धीरे- धीरे स्थापित कर लिया. उन्होंने लक्खा के साथ भी मंच साझा किया. उनकी गायकी के कायल चंपाई सोरेन होते चले गए. धीरे- धीरे चंपाई सोरेन ने चंचल गोस्वामी पर ऐसी कृपा बरसाई कि चंचल आज सत्ता के गलियारे का एक चर्चित चेहरा बन चुका है, मगर चंचल आज भी अपने उस दौर को भुला नहीं है, जिसका नमूना शुक्रवार को देखने को मिला. बतरौर धर्मेंद्र गोस्वामी “मैं आज जो भी हूं उसके पीछे माता रानी की कृपा है. मुख्यमंत्री जी ने समय पर मुझ जैसे साधारण युवक को सहारा न दिया होता तो आज मैं भी गली सिंगर बनकर घूमता रहता. उन्होंने कहा कलाकारों का जीवन काफी संघर्षों भरा होता है. हर कलाकार मायानगरी तक नहीं पहुंच पाता मगर उनकी प्रतिभा उन्हें मुकाम तक जरूर पहुंचा देती है. उन्होंने कलाकारों को सम्मान देने की अपील की.”