धनबाद : शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लि राज्य सरकार ने सदर अस्पताल को एक नियोनेटल एंबुलेंस प्रदान की है. शुक्रवार को एंबुलेंस को हरी झंडी दिखाकर बच्चों की जान बचाने का दायित्व सौंपा गया. उद्घाटन के दूसरे दिन शनिवार को लापरवाही की वजह से एक नवजात की मौत हो गई, जबकि दूसरे नवजात की जान खतरे में है. दोनों नवजात को एंबुलेंस में मैनुअल निबोलाइजर के सहारे इलाज के लिए रांची ले जाया जा रहा था.
कतरास छाताटांड़ 4 नंबर की रहने वाली सुमित्रा देवी ने 13 दिसंबर को बच्चे को जन्म दिया था. प्रसव के बाद बच्चे को सांस लेने में परेशानी आ रही थी. उसे एसएनएमएमसीएच रेफर कर दिया गया. रात में बच्चे को एनआईसीयू के वार्मर पर रखा गया, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं होता देख शनिवार को उसे रांची रेफर कर दिया गया.
इसके साथ ही एसएनएमएमसीएच में बरवाअड्डा निवासी बेबी देवी ने भी अपने शिशु को जन्म दिया था. उक्त बच्चे की भी तबीयत में सुधार नहीं हो रहा था. डॉक्टर ने उसे भी रांची रेफर कर दिया. दोनों नवजात के लिए नियोनेटल एंबुलेंस बुलाई गई. लेकिन, एंबुलेंस में आधी-अधूरी व्यवस्था की वजह से रास्ते में ही एक बच्चे की जान चली गई. वहीं, दूसरे शिशु की जान खतरे में है. मृत शिशु को करकेंद सीएचसी में उतार दिया गया, जबकि दूसरे नवजात को वापस एसएनएमएमसीएच ले जाकर भर्ती करा दिया गया.
मृत बच्चे के परिजन बसंत शर्मा ने आरोप लगाया कि 108 एंबुलेंस को शुक्रवार की रात ही कॉल की गई थी. इसके बावजूद एंबुलेंस शनिवार की सुबह एसएनएमएमसीएच पहुंची. एंबुलेंस में किसी प्रकार की सुविधा नहीं थी. ऑक्सीजन भी काम नहीं कर रहा था.एंबुलेंस में बैठने की भी व्यवस्था नहीं थी. एंबुलेंस की फर्श और कुर्सी पर बैठकर हम बच्चों को ले जा रहे थे. एक बच्चे को तो मैनुअल निबुलाइजर लगाया गया. महुदा पहुंचने के बाद ऑक्सीजन ने काम करना बंद कर दिया, जिससे बच्चे की मौत हो गई. परिजनों ने कहा कि यदि एंबुलेंस सही समय पर मिलती, तो बच्चे की जान बच सकती थी.