बांका: देवघर की साध्वी कौशल्या ने अपने धर्म पुत्र पीएम मोदी के गुजरात फतह की खुशी में बिहार के बांका जिले के फूलडुमर प्रखंड के टेनपाजा निवासी अनाथ आदिवासी प्रमोद मुर्मू के घर डीप बोरिंग कराकर खुशी प्रकट की है.
बता दें कि साध्वी कौशल्या देवघर में रहती है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना धर्मपुत्र बताती है. साध्वी कौशल्या ने 12 वर्षों तक नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने की कामना लिए कठोर तपस्या किया है. सैकड़ो बार प्रधानमंत्री के नाम का रुद्राभिषेक बाबा मंदिर और वासुकीनाथ मंदिर में कराकर उनके बेहतर स्वास्थ्य और देश सेवा की कामना की है. यह सिलसिला आज भी जारी है.
पीएम मोदी के हर अभियान के सफलता को लेकर साध्वी जप- तप और साधना के जरिये पूरा करती है. चाहे पीएम का जन्मदिन हो या चुनावी समर साध्वी पूरे उत्साह से मनाती है. इस बार उन्होंने गुजरात जीत पर गरीब आदिवासी परिवार के घर बोरिंग कराने की ठानी थी. गुजरात फतह होते ही साध्वी कौशल्या ने बिहार- झारखंड की सीमा पर स्थित बांका जिले के फूलडुमर प्रखंड के टेनपाजा निवासी अनाथ आदिवासी प्रमोद मुर्मू के घर डीप बोरिंग कराकर भीषण जल संकट से जूझ रहे आदिवासी परिवार को राहत पहुंचाया है.
बोरिंग होते ही अनाथ प्रमोद मुर्मू के चेहरे खुशी से खिल उठे हैं. उसने साध्वी का कोटि- कोटि आभार जताया है. प्रमोद मुर्मू ने बताया कि वह अनाथ है. मेहनत- मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का भरण- पोषण करता है. पिछली बार साध्वी ने मकान बनाने में सहयोग दिया था. पानी की घोर किल्लत हो रही थी. काफी दूर से पीने का पानी लाना पड़ता था. इस बार उन्होंने भरोसा दिलाया था, कि प्रधानमंत्री जब गुजरात चुनाव में जीत जाएंगे तब उसके घर वह बोरिंग करवा देगी. गुजरात में भाजपा के प्रचंड जीत के बाद साध्वी ने अपना वादा निभाया और बुधवार को उसके घर डीप बोरिंग करवा दिया. अब उसे पानी की समस्या नहीं होगी.
आखिर क्यों साध्वी को है पीएम मोदी से इतना स्नेह, क्यों पीएम मोदी को मानती है अपना धर्मपुत्र !
दरअसल साध्वी कौशल्या मूल रूप से बनारस की रहनेवाली है. साध्वी बनने से पूर्व साध्वी कौशल्या देवी थी. उनका ससुराल बनारस में था. पति सरकारी मुलाजिम थे. बात उन दिनों की है जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे और प्रधानमंत्री को लेकर पूरे देश में उनके नाम की लहर थी. कौशल्या देवी गर्भ से थी. ससुराल वाले कट्टर कांग्रेसी थे. एक दिन टीवी देखने के दौरान कौशल्या देवी ने भी मोदी की तारीफ में कसीदे गढ़े, जो ससुराल वालों को नागवार गुजरा और गर्भवती कौशल्या देवी की बेरहमी से पिटाई कर डाली. जिससे कौशल्या देवी के गर्भ में पल रहा बच्चा खराब हो गया. कौशल्या ने ससुराल त्याग दिया और नरेंद्र मोदी को अपना धर्मपुत्र मान लिया. किसी तरह से कौशल्या देवी देवघर आ गई. यहां चित्रकूट पर्वत पर 12 वर्षों तक कठोर साधना की. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद कौशल्या देवी ने अपना प्राण पूरा किया. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का ही माला जपती है और समाज सेवा में बढ़- चढ़कर हिस्सा लेती है. दीन- दुखियों की सेवा करना, उनके बच्चों के पढ़ाई का खर्च उठाना, गरीबों की बेटी के विवाह में आर्थिक सहयोग करना. यही कौशल्या देवी का दिनचर्या बन गया है. कौशल्या देवी क्षेत्र में साध्वी मां के नाम से विख्यात हो चुकी है. साध्वी कौशल्या की अंतिम इच्छा है कि वह अपने धर्मपुत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक झलक देखना चाहती है. उन्हें महसूस करना चाहती है. उनसे मिलना चाहती है. हालांकि इसको लेकर साध्वी ने कई बार प्रयास किए. प्रधानमंत्री देवघर आए भी, मगर प्रधानमंत्री तक साध्वी का संदेश किसी ने नहीं पहुंचाया. ना ही साध्वी को उनसे मिलने दिया गया, जिससे वे थोड़ी मायूस जरूर हुई है. मगर आज भी साध्वी कौशल्या ने उम्मीद नहीं छोड़ा है. उन्हें आज भी इंतजार है कि कोई तो होगा उनके धर्मपुत्र तक उसका संदेश पहुंचाएगा.
Reporter for Industrial Area Adityapur